नई दिल्ली। शिखर सम्मेलन में भारत ने दुनिया के सामने ऐसी कूटनीतिक ताकत और मेहमान-नवाजी दिखाई कि पड़ोसी देश चीन भी इसका मुरीद हो गया है। चीन ने सोमवार को एक बयान में कहा कि जी-20 में भारत के घोषणापत्र ने एक “सकारात्मक संकेत” भेजा है। चीन का कहना है कि प्रभावशाली देश वैश्विक चुनौतियों से निपटने और आर्थिक सुधार के लिए हाथ मिला रहे हैं।
भारत ने शनिवार को शिखर सम्मेलन के पहले दिन बड़ी कूटनीतिक जीत हासिल की, जब उसकी अध्यक्षता में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन में रूस-यूक्रेन युद्ध पर प्रमुख मतभेदों को दूर करते हुए एक सर्वसम्मत घोषणा को अपनाया गया। भारत के घोषणा पत्र की रूस भी तारीफ कर चुका है। हालांकि यह और बात है कि शिखर सम्मेलन के लिए शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन दोनों ने भारत आने से परहेज किया था।
जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने “वैश्विक विश्वास की कमी” को समाप्त करने का आह्वान किया। रूस के बाद चीन ने भी शिखर सम्मेलन में भारत के घोषणापत्र की तारीफ की है। हालांकि यहां भी वह अपने मुंह मियां मिट्ठू करने से नहीं चूका। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने यहां एक मीडिया ब्रीफिंग में एक सवाल के जवाब में कहा, “जी20 शिखर सम्मेलन द्वारा जारी घोषणा से पता चलता है कि चीन का प्रस्ताव एक अच्छा संकेत है।” उनसे सवाल पूछा गया था कि बीजिंग रविवार को संपन्न जी20 शिखर सम्मेलन के नतीजे को कैसे देखता है? बता दें कि चीनी प्रधान मंत्री ली कियांग ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के स्थान पर शिखर सम्मेलन में भाग लिया था।
चीन के विदेश मामलों में प्रवक्ता माओ ने कहा, “घोषणा यह भी संकेत देती है कि जी20 देश वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए हाथ मिला रहे हैं और दुनिया को आर्थिक सुधार पर सकारात्मक संकेत भेज रहे हैं।” उन्होंने कहा, तैयारी प्रक्रिया के दौरान, चीन ने भी “रचनात्मक भूमिका निभाई और विकासशील देशों की चिंताओं को महत्व दिया और वैश्विक आम विकास के लिए अनुकूल परिणाम का समर्थन किया”।