मध्यप्रदेश:– 1 नवंबर को कार्तिक शुक्ल पक्ष की पावन देवउठनी एकादशी मनाई जा रही है. यह वह शुभ दिन है जब चार माह की योगनिद्रा के बाद भगवान विष्णु जागृत होते हैं और सृष्टि के सभी मांगलिक कार्यों का पुनः आरंभ होता है. इस एकादशी को हरिप्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है और यह धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है.
तुलसी पूजन का विशेष महत्व
देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी माता की पूजा का विशेष विधान है. इस एकादशी के अगले दिन ही तुलसी विवाह होता है. तुलसी को भगवान विष्णु की प्रिय और देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है. इस दिन तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाने, जल अर्पित करने और उनकी परिक्रमा करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी दोनों की कृपा प्राप्त होती है. यह उपाय घर में सुख-शांति और समृद्धि लाता है.
दीपदान और विष्णु पूजन से कष्टों का निवारण इस एकादशी पर भगवान विष्णु के पूजन और दीपदान का विशेष महत्व है. माना जाता है कि दीपदान करने से अंधकार पर प्रकाश और अज्ञान पर ज्ञान की विजय होती है. घर के मुख्य द्वार और तुलसी के पास घी का दीपक जलाने से सभी प्रकार के ग्रह दोष और जीवन के संकट दूर होते हैं. भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी दल अवश्य अर्पित करें. यह पूजा करने वाले व्यक्ति को सौ यज्ञों के समान पुण्य प्रदान करती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
