नई दिल्ली:– श्रावण मास महात्म्य में इस महीने के महत्व, दान, नियमों के बारे में विस्तार से बताया गया है। सावन मास भगवान शिव का प्रिय महीना है और इस महीने में किए जाने वाले शुभ कर्मों का अत्यंत फल मिलता है। माना जाता है कि सावन में व्यक्ति को किसी न किसी व्रत का पालन जरूर करना चाहिए। साथ ही अपनी क्षमता अनुसार दान करना चाहिए। इससे शिवजी प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा मिलती है। ऐसे में आइये विस्तार से जानते हैं सावन मास के दान के बारे में।
श्रावण मास महात्म्य के अनुसार, सावन मास में मौनव्रत रखने का बड़ा महत्व है। खासकर भोजन के समय मौनव्रत रखना चाहिए और व्रत के अंत में घंटा और पुस्तक का दान करें। इसके साथ ही ब्राह्मणों को रोटक का दान करना चाहिए। केला, नारियल, खजूर, ककड़ी, नारंगी, नींबू समेत अन्य ऋतु फल के दान करने का बड़ा महत्व है। इसके साथ ही सावन में अपनी किसी प्रिय वस्तु का त्याग करके भोलेनाथ को अर्पित करने से व्यक्ति को परम गति मिलती है और उसके सद्कर्मों का प्रति लाख गुना फल मिलता है।
सावन मास में घर में रुद्राभिषेक कराने, होम कराने का भी महत्व बताया गया है। इसके साथ ही क्षमता अनुसार ब्राह्मणों को भोज कराना चाहिए। नागों का पूजन करना चाहिए। उनके नाम से दूध आदि का दान करना चाहिए। इसके अलावा तिल के लड्डुओं को भगवान को अर्पित करने के बाद इनका दान करना चाहिए। सावन में खीर या तिल से गायत्री मंत्र, मूल मंत्र या शिव सहस्रनाम मंत्रों से घर में होम कराना चाहिए। जिस भी मंत्र से पूजा की गई है उससे ही पूर्णाहुति डालनी चाहिए। इसके बाद होम कराने वाले ब्राह्मणों को वस्त्र, अलंकार, भूषण, क्षमतानुसार दक्षिणा आदि देनी चाहिए।
यही नहीं सावन मास में फूल, फल, तुलसी की मंजरी, तुलसी दल, बेल पत्र से शिवजी की पूजा करनी चाहिए। सावन मास में शाक का त्याग करने का महत्व बताया गया है। सावन में रोज अतिरुद्र, महारुद्र या रुद्रमंत्र से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए। इसके अलावा सावन मास में यथासंभव दान पुण्य करना चाहिए। इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा प्राप्त होती है। सावन में शिवजी की सोने की मूर्ति बनवाकर पूजा करनी चाहिए। इसके साथ ही चांदी का दीया बनाकर उसका दान करना चाहिए। इससे आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं।
शिव पुराण में भी सावन में दान के बारे में बताया गया है। सावन में गोदान करने से पापों से मुक्ति मिलती है। भूदान करने से परलोक में आश्रय मिलता है जबकि तिल के दान से बल मिलता है। वस्त्रों के दान से आयु बढ़ती है। गुड़ के दान से भोजन की प्राप्ति होती है। सोने-चांदी के दान से वीर्य बढ़ता है और धन का दान करने से धन-समृद्धि बढ़ती है। इसके साथ ही सावन में कोंहड़ा और घी का दान करना पुष्टिदायक है जबकि कन्यादान श्रेष्ठ दान है जिससे जीवन में भोग मिलता है।