नई दिल्ली:– सनातन धर्म में पितरों का विशेष स्थान माना गया है, इसलिए हर शुभ कार्य में उनकी पूजा की जाती है। विवाह, जनेऊ जैसे महत्वपूर्ण अवसरों पर पितरों को आमंत्रित किया जाता है, क्योंकि उनके आशीर्वाद से संतान और परिवार का कल्याण होता है। यदि पितर अप्रसन्न हो जाते हैं, तो व्यक्ति को जीवन में विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कई बार पूरा परिवार पितृ दोष से प्रभावित हो सकता है, और ऐसी मान्यता है कि इसका प्रभाव सात पीढ़ियों तक बना रहता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि पितृ दोष के कारण व्यक्ति को किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
संतानहीनता
जिन लोगों पर पितृ दोष या पितरों का श्राप होता है, वे संतान सुख से वंचित रह सकते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति अपने पूर्वजों को तृप्त नहीं करता, उसे संतान प्राप्ति का सौभाग्य नहीं मिलता, जिससे उसका वंश आगे नहीं बढ़ता।
आर्थिक संकट
पितृ दोष से प्रभावित व्यक्ति आर्थिक परेशानियों का सामना करता है। ऐसे लोग धन, सुख-संपत्ति और समृद्धि से वंचित रहते हैं तथा जीवनभर आर्थिक संघर्ष झेलते हैं।
घर में बरकत का अभाव
जिन परिवारों पर पितृ दोष होता है, वहां उन्नति की गति रुक जाती है। मेहनत करने के बावजूद अपेक्षित सफलता नहीं मिलती, कार्यों में बाधाएं आती हैं और योजनाएं सफल नहीं हो पातीं।
स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं
पितरों की नाराजगी के कारण परिवार में कोई न कोई सदस्य हमेशा बीमार रहता है। स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां बनी रहती हैं, दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है और परिवार के सदस्य लगातार शारीरिक कष्ट झेलते हैं।
घर में अशांति
पितृ दोष से प्रभावित घरों में पारिवारिक कलह, आपसी विवाद, झगड़े और तनाव की स्थिति बनी रहती है। वैवाहिक जीवन में बाधाएं आती हैं और पति-पत्नी के बीच मतभेद बढ़ते हैं। इसके अलावा व्यापार में असफलता और धन की हानि भी पितृ दोष के प्रभाव मानी जाती है।
पितृ दोष निवारण के उपाय
पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए तर्पण, श्राद्ध और दान जैसे कर्म करना आवश्यक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि सही विधि से इन अनुष्ठानों को किया जाए, तो पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।