
जिले में कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना को लेकर गंभीर नहीं प्रदेश सरकार
बेमेतरा: पहले शुगर मिल स्थापना की घोषणा, अब इनकार से प्रदेश की कांग्रेस सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं । चुनाव के समय बड़े-बड़े दावे और वादे किए गए थे, लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं दिखाई दे रहे हैं । इसके अलावा डेयरी महाविद्यालय, फूड प्रोसेसिंग प्लांट, बाईपास के संबंध में सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधि बोलने को तैयार नहीं है । अभी भी मुख्यमंत्री की ओर से बड़ी-बड़ी घोषणाएं की गई हैं । यह देखना होगा कि 2 अक्टूबर को किसान सम्मेलन के दौरान मुख्यमंत्री की ओर से की गई घोषणाएं कब पूरी होती हैं क्योंकि पूर्व में की गई घोषणाएं को लेकर अब तक कुछ नहीं किया गया है । उन्हें ठंडे बस्ते में डालने की तैयारी कर ली गई है । उक्त बातें किसान नेता योगेश तिवारी ने कही है । किसान नेता के अनुसार प्रदेश सरकार जिले में कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना को लेकर गंभीर नहीं है । इसके विपरीत प्रदूषण युक्त उद्योगों की स्थापना को लेकर सरकार की ओर से मंजूरी दी जा रही है, जबकि क्षेत्र के किसान इस तरह के उद्योगों की स्थापना का लगातार विरोध कर रहे हैं । इस संबंध में किसानों की ओर से कलेक्टर को कई बार ज्ञापन सौंपा गया है ।
प्रदूषण युक्त उद्योगों की स्थापना को लेकर जिद पर अड़ी है प्रदेश सरकार
प्रदेश सरकार जिले में प्रदूषण युक्त उद्योगों की स्थापना को लेकर जिद पर अड़ी हुई है । इससे कृषि प्रधान बेमेतरा जिला में कृषि की बर्बादी तय है ।इसलिए किसान जिले में प्रदूषण उद्योगों की स्थापना का विरोध कर रहे हैं । खासकर बेमेतरा विधानसभा के बेरला क्षेत्र में उद्योगों की स्थापना को लेकर उद्योगपति सरकार से एमओयू कर रहे हैं और सरकार रोजगार के बहाने यहां उद्योग स्थापना की तैयारी कर रही है । जबकि किसान अपनी खेती कार्य से ही खुश हैं ।
उद्योग स्थापना की अनुमति दिए जाने से सरकार की मंशा पर सवाल खड़े हो रहे
किसानों को कृषि कार्य से ही रोजगार मिल रहा है । क्षेत्र के किसान प्रदूषण युक्त उद्योगों के स्थापना का पुरजोर विरोध कर रहे हैं । इसके लिए गांव गांव में किसान बैठक कर रहे हैं । बीते दिनों उद्योग स्थापना के लिए जनसुनवाई बुलाई गई थी लेकिन किसानों के विरोध को देखते हुए जन सुनवाई को स्थगित कर दिया गया । आने वाले दिनों में फिर से जनसुनवाई ना बुलाई जाए इसके लिए किसानों ने कलेक्टर को आवेदन सौंपा है । किसानों के विरोध के बावजूद जिले में उद्योग स्थापना की अनुमति दिए जाने से सरकार की मंशा पर सवाल खड़े हो रहे हैं ।