नई दिल्ली:– इंडियन किचन में सदियों से गैस चूल्हा खाना पकाने का सबसे भरोसेमंद साधन माना जाता रहा है. दूसरी ओर, माइक्रोवेव और एयर फ्रायर को आज भी ज्यादातर लोग आधुनिक, लेकिन खतरनाक उपकरण समझते हैं. खासकर माइक्रोवेव के बारे में यह गलत धारणा घर-घर में फैली है कि इसमें रेडिएशन होता है और यह कैंसर का कारण बन सकता है. लेकिन, सच इसके बिल्कुल उलट है. यानि जो चीज हम सुरक्षित मानते आए हैं, वह असल में जोखिम भरी हो सकती है और जिससे डरते हैं, वह सुरक्षित निकलती है.
खाना पकाने का सही तरीका सिर्फ स्वाद के लिए नहीं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी है. आज हम जानेंगे कि गैस चूल्हा, माइक्रोवेव और एयर फ्रायर में से कौन-सा साधन शरीर के लिए बेहतर है, कौन से जोखिम इनके साथ जुड़े हैं और हमें किस तरह समझदारी से भोजन पकाना चाहिए.
गैस स्टोव:
ज्यादातर भारतीय परिवार गैस चूल्हे को सबसे सुरक्षित विकल्प मानते हैं, क्योंकि इसमें किसी अनदेखी लहर या इलेक्ट्रॉनिक रेडिएशन का डर नहीं होता. लेकिन, असलियत यह है कि गैस स्टोव जलने पर कई हानिकारक गैसें निकलती हैं, जैसे:
नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂)
कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)
VOCs (वोलाटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड)
ये तीनों फेफड़ों में सूजन, सांस लेने में दिक्कत, घरघराहट, सिरदर्द और अस्थमा के अटैक तक पैदा कर सकते हैं. भारतीय घरों में किचन अक्सर बंद होते हैं, एग्जॉस्ट ठीक से नहीं चलता और बर्नर समय-समय पर साफ नहीं किए जाते, ऐसी स्थिति में ये गैसें धीरे-धीरे जहर की तरह असर दिखाती हैं. यानि खतरा गैस चूल्हे से नहीं, उसके खराब वेंटिलेशन और अनहाइजीनिक यूज से पैदा होता है.
माइक्रोवेव:
माइक्रोवेव को लेकर सबसे बड़ा भ्रम यह है कि यह रेडिएशन पैदा करता है. लोग रेडिएशन शब्द को सीधा कैंसर से जोड़ देते हैं, जबकि माइक्रोवेव में इस्तेमाल होने वाली वेव्स नॉन-आयनाइजिंग होती हैं. इसका मतलब:
ये शरीर की कोशिकाओं को नुकसान नहीं पहुंचातीं.
ये सिर्फ भोजन के पानी के अणुओं को कंपन करके गर्म करती हैं.
इसमें कोई धुआं या कैंसर पैदा करने वाला कार्सिनोजेन नहीं बनता.
कई मामलों में उबालने या तलने की तुलना में पोषक तत्वों की हानि कम होती है.
यानी माइक्रोवेव से डरने की जरूरत नहीं, बल्कि इसकी सही समझ रखने की जरूरत है.
एयर फ्रायर:
एयर फ्रायर उन लोगों के लिए वरदान है जो कम तेल में क्रिस्पी खाना चाहते हैं. यह डीप फ्राई की तुलना में कैलोरी को काफी कम कर देता है. हालांकि एक सावधानी जरूरी है:
अगर आप स्टार्च वाले फूड (जैसे आलू) को 120 डिग्री सेल्सियल से ज्यादा तापमान पर लंबे समय तक पकाते हैं, तो एक्रिलामाइड नामक केमिकल बन सकता है
यह एक संभावित कार्सिनोजेन माना जाता है.
मतलब, एयर फ्रायर का उपयोग ठीक है लेकिन इसे तंदूर समझकर ओवरहीट न करें.
तो सबसे सुरक्षित क्या है?
सीधी बात, कोई उपकरण पूरी तरह अच्छा या बुरा नहीं. असली समस्या है:
कम वेंटिलेशन
ज्यादा गर्म तेल
गंदे बर्नर
गलत तापमान पर खाना पकाना
अगर वेंटिलेशन सही है और आप भोजन उपयुक्त तापमान पर पका रहे हैं, तो तीनों विकल्प सुरक्षित हैं. लेकिन, माइक्रोवेव का डर सिर्फ मिथ है, जबकि गैस स्टोव का खतरा वास्तविक, लेकिन अनदेखा है.
डर कर नहीं, स्मार्ट होकर खाना पकाइए. तकनीक को दुश्मन न समझें,समझदारी से इस्तेमाल करें
