नई दिल्ली:– 37 साल से पुलिस को चकमा दे रहे उम्रकैद की सजा पाए आरोपी राजेश उर्फ राजू को आखिरकार टेक्नोलॉजी ने मात दे दी। तिलहर थाना क्षेत्र के इस अपराधी को हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद वह फरार हो गया था और साधु का भेष धरकर लगातार अपना ठिकाना बदलता रहा। कभी धार्मिक स्थलों पर, तो कभी पड़ोसी जिलों में रहते हुए उसने खुद को 37 वर्षों तक छुपाए रखा।
यूपी पुलिस ने आधुनिक सर्विलांस तकनीक और फिंगरप्रिंट पहचान प्रणाली ‘नाफीस’ (NAFIS) की मदद से आरोपी की पहचान की और मध्य प्रदेश के शिवपुरी स्थित गायत्री शक्तिपीठ से उसे गिरफ्तार कर लिया। नाफीस पोर्टल अपराधियों के फिंगरप्रिंट व बायोलॉजिकल डेटा को डिजिटल रूप से संरक्षित रखता है और मैच मिलते ही पुलिस को सतर्क कर देता है।
1986 के एक तेजाब हमले में दोषी पाए जाने पर राजेश को 1988 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। आरोप है कि उसने ओमप्रकाश और गंगा दीन पर तेजाब डाला था, जिसमें दोनों गंभीर रूप से घायल हुए थे।
जमानत मिलने के बाद वह अदालत में पेश नहीं हुआ और फरार हो गया। वर्षों तक साधु के रूप में घूमता रहा और अंततः शिवपुरी में स्थायी रूप से बस गया। पुलिस अधीक्षक राजेश द्विवेदी के अनुसार नाफीस पोर्टल में दर्ज फिंगरप्रिंट्स और आधुनिक ट्रैकिंग तकनीक की वजह से इस कुख्यात अपराधी को 37 साल बाद सलाखों के पीछे पहुंचाया जा सका।
