नई दिल्ली :– रामलीला मैदान रविवार को कांग्रेस की वोट चोर, गद्दी छोड़ रैली का गवाह बना। इस विशाल जनसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने मंच से सीधे तौर पर कहा कि वे जानते हैं कि गृह मंत्री अमित शाह के हाथ क्यों कांप रहे थे। राहुल ने इस लड़ाई को विचारधारा का संघर्ष बताया और दावा किया कि देश में सत्य और सत्ता के बीच जंग छिड़ी हुई है, जिसमें चुनाव आयोग भी निष्पक्ष नहीं है।
रैली का मुख्य उद्देश्य कथित वोट चोरी और चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ी को उजागर करना था। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का कानून अपने फायदे के लिए बदल दिया है। उन्होंने कहा कि यूपी के नेता हरियाणा में जाकर वोट देते हैं और चुनाव आयोग सवालों का जवाब देने के बजाय सत्ता के साथ खड़ा है। कांग्रेस का कहना है कि यह प्रदर्शन जनता को जागरूक करने और सरकार पर दबाव बनाने के लिए आयोजित किया गया है ताकि लोकतंत्र बचा रहे।
सत्य और शक्ति की जंग
राहुल गांधी ने अपने भाषण में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के अंडमान निकोबार वाले बयान का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भागवत मानते हैं कि दुनिया सत्य को नहीं बल्कि शक्ति को पूजती है, जो कि संघ की विचारधारा है। इसके विपरीत, गांधीजी और हिंदू धर्म सिखाते हैं कि सत्य ही सर्वश्रेष्ठ है। राहुल ने गारंटी दी कि वे सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलकर मौजूदा सरकार को सत्ता से बाहर करेंगे। उनका कहना था कि हिंदुस्तान की विचारधारा सत्य की है, जबकि भाजपा केवल सत्ता के लिए काम करती है और वोट चोरी करके चुनाव जीतती है।
बैलेट पेपर की खुली चुनौती
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि संसद में अब मुश्किल से एक या दो बार ही बहस हो पाती है। जब विपक्ष बेरोजगारी, महंगाई और पेपर लीक जैसे मुद्दों पर चर्चा मांगता है, तो सरकार वंदे मातरम और राष्ट्रगीत के इतिहास की बातें करने लगती है। प्रियंका ने भाजपा को खुली चुनौती देते हुए कहा कि अगर उनमें हिम्मत है तो वे एक बार बैलेट पेपर पर चुनाव लड़कर देख लें, उन्हें अपनी असलियत और हार का पता चल जाएगा।
