नई दिल्ली:– मानसून की दस्तक के साथ खेत-खलिहानों, जंगलों और पुराने घरों में जहरीले जीवो सक्रिय हो जाते हैं. ऐसे में बिच्छू का डंक गंभीर परेशानी का कारण बन सकता है. बिच्छू का जहर शरीर में तेजी से फैल सकता है और सही समय पर उपचार न मिलने पर यह जानलेवा भी हो सकता है. लेकिन आयुर्वेद में इसके लिए कई प्रभावी घरेलू उपाय मौजूद हैं, जो प्रारंभिक इलाज के रूप में बेहद कारगर हो सकते हैं.
इसी विषय पर हमने बात की आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉक्टर शंकर प्रसाद वैश्य (एमडी आयुर्वेद) से, जिन्होंने बिच्छू के डंक का इलाज आयुर्वेदिक तरीके से करने के लिए कुछ बेहद असरदार नुस्खे बताए हैं.
कैसे पहचानें बिच्छू के डंक के लक्षण?
बिच्छू के डंक के तुरंत बाद शरीर में कुछ लक्षण नजर आते हैं:
डंक के स्थान पर तेज जलन, दर्द और सूजन
शरीर में झनझनाहट या सुन्नपन
कभी-कभी फफोले भी पड़ सकते हैं
गंभीर मामलों में सांस लेने में दिक्कत, उल्टी या बेहोशी भी हो सकती है.
डॉ. शंकर प्रसाद वैश्य के अनुसार, जैसे ही बिच्छू काटे, सबसे पहले पीड़ित को एक ही स्थान पर स्थिर रखना चाहिए, ताकि जहर शरीर में ज्यादा ना फैले.
आयुर्वेदिक और घरेलू उपचार
- तुलसी का रस
तुलसी के पत्तों का रस निकालकर बिच्छू के डंक वाले स्थान पर लगाएं। तुलसी में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वेनम गुण होते हैं, जो जहर को निष्क्रिय करने में सहायक होते हैं.
- सरसों का तेल और हल्दी का लेप
थोड़ी सी हल्दी को सरसों के तेल में मिलाकर गाढ़ा लेप बनाएं और प्रभावित स्थान पर लगाएं. यह मिश्रण सूजन कम करता है, दर्द को शांत करता है और त्वचा को राहत पहुंचाता है. - फिटकरी का प्रयोग
गर्म पानी में फिटकरी डालकर उस पानी से डंक वाले स्थान को धो लें. इसके बाद जली हुई फिटकरी का पेस्ट बनाकर घाव पर लगाएं. फिटकरी त्वचा को कीटाणुरहित करने के साथ-साथ जलन और सूजन में भी राहत देती है.
- रस्सी या कपड़े से बांधना
जहां बिच्छू ने काटा है, उसके थोड़ा ऊपर और नीचे की तरफ किसी कपड़े या रस्सी से हल्का बांध दें ताकि जहर का प्रवाह शरीर में ऊपर की ओर ना बढ़े. ध्यान रखें कि रक्त प्रवाह पूरी तरह बंद न हो.
कब जाएं डॉक्टर के पास?
अगर घरेलू उपायों के बावजूद 30 से 45 मिनट में भी आराम नहीं मिलता है, या लक्षण बढ़ते हैं जैसे सांस लेने में कठिनाई, चक्कर, धड़कन तेज होना, तो तुरंत नजदीकी सरकारी अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करें. आयुर्वेद प्रारंभिक उपचार देता है, लेकिन गंभीर स्थिति में मेडिकल इंटरवेंशन जरूरी है.
डॉ. शंकर प्रसाद वैश्य कहते हैं कि घरेलू उपाय काफी असरदार हैं, लेकिन किसी भी हालत में मरीज को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. आयुर्वेदिक उपचार तब और अधिक प्रभावी होता है जब समय पर शुरू किया जाए.
मानसून में बिच्छू जैसे जहरीले जीवों से सावधान रहना जरूरी है. घर, खेत या पुरानी दीवारों के पास हमेशा सतर्क रहें. रात को सोने से पहले बिस्तर की जांच करें और चप्पल पहनकर चलें. अगर फिर भी डंक की घटना हो जाती है, तो आयुर्वेदिक नुस्खों को तुरंत अपनाकर आप स्थिति को नियंत्रण में रख सकते हैं.
सावधानी, जागरूकता और समय पर इलाज… यही हैं बिच्छू के जहर से बचाव के तीन मंत्र.