नई दिल्ली:– नीम करोली बाबा भारत के महान संतो में से एक माने जाते हैं। उनकी ख्याति न सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी फैली है। बाबा नीम करोली के विचार आज भी उनके अनुयायियों का मार्गदर्शन करते है। नीम करोली बाबा को भगवान हनुमान का अवतार माना जाता है। इनके लाखों के संख्या में फॉलवर हैं।
धार्मिक मान्यता है कि जो भी नीम करोली बाबा के द्वार पर आता है वो कभी भी खाली हाथ नहीं जाता है। नीम करोली बाबा ने हर चीजों को लेकर अपने विचार व्यक्त किये हैं। उन्होंने व्यक्ति के धनवान बनने को लेकर भी बहुत उपाय बताए गए हैं। आइए जानते हैं नीम करोली बाबा के खास बातों के बारे में।
नीम करोली बाबा के अनुसार धनवान बनने के उपाय
धन का सही उपयोग
नीम करोली बाबा कहते हैं कि अगर किसी व्यक्ति के पास धन की प्रचुरता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसे धनवान मान लिया जाए। बल्कि किसी व्यक्ति को धनवान कहलाने के लिए धन की सही उपयोगिता का पता होना चाहिए।
बाबा के अनुसार, ऐसे धन का कोई लाभ नहीं जो किसी गरीब, जरूरतमंद या असहाय के लिए उपयोग न किया गया हो। इसलिए असली धनवान वो ही है, जिसे धन का महत्व और इसकी सही उपयोगिता का पता हो।
स्वयं को कभी भी गरीब न समझें
बाबा का कहना हैं कि धनवान वही है तो खुद को कभी गरीब नहीं समझता है। असली धनवान वही है जो चरित्र, व्यवहार और भगवान की आस्था के कोष से भरा हुआ है। ये तीनों कोष ही सही मायने में आपकी जमापूंजी हैं।
कहते है ये ऐसा कीमती रत्न है तो नजर तो नहीं आता, लेकिन हमेशा भरा रहता है। कागज की गड्डियां और धातु के आभूषणों का भी एक न एक दिन मनुष्य की देह की तरह नाश हो जाता है। इसलिए असली धनवान वही है जो कर्म, भाव, कल्याण और भक्ति से भरा हुआ है।
अगर आपमें ऐसे गुण हैं तो स्वयं को कभी गरीब न समझें। ऐसे लोग ही सही मायने में धनवान होते हैं।
ईमानदारी के साथ धन अर्जित करना
बाबा का कहना हैं कि गलत काम के द्वारा धन को कमाने वाले लोग भी कभी धनवान नहीं बन सकते है। गलत ढंग से रुपया-पैसा कमाने वाले लोग जीवनभर आर्थिक तंगी में उलझे रहते है। इसलिए ईमानदारी के साथ धन अर्जित करना ही धनवान बनने का सबसे अच्छा तरीका है।
जीवन में किसी भी व्यक्ति को मोह-माया के फेर में नहीं उलझना चाहिए। साथ ही किसी भी चीज का लालच भी नहीं करना चाहिए। नीम करोली बाबा के अनुसार, इस तरह की आदत रखने वाले लोगों के पास कभी भी धन रुकता नहीं है। बाबा कहते थे, धनवान बनना है तो मोह-माया का त्याग करना ही होगा।