नई दिल्ली:– भारत सरकार ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को लेकर बड़ा कदम उठाया है. अब देश में एआई को जिम्मेदारी से इस्तेमाल करने के लिए नए एआई गवर्नेंस गाइडलाइंस जारी की गई हैं. ये गाइडलाइंस यह तय करेंगी कि कंपनियां, डेवलपर्स और संस्थान एआई का इस्तेमाल कैसे करें ताकि किसी को नुकसान न हो. इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने इन गाइडलाइंस को अपने इंडियाएआई (IndiaAI) मिशन के तहत लॉन्च किया.
इस मौके पर भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार अजय कुमार सूद (Ajay Kumar Sood) ने कहा कि भारत “डू नो हार्म” यानी “किसी को नुकसान न पहुंचाने” के सिद्धांत पर काम करेगा. मतलब यह कि एआई से किसी व्यक्ति, समुदाय या पर्यावरण पर गलत असर नहीं पड़ना चाहिए.
अब एआई पर सरकार की नजर
मंत्रालय के सचिव एस. कृष्णन (S. Krishnan) ने बताया कि भारत का यह एआई फ्रेमवर्क मानव-केंद्रित होगा. यानी, एआई का मकसद इंसानों की मदद करना है, न कि उन्हें रिप्लेस करना या नुकसान पहुंचाना. सरकार चाहती है कि एआई टेक्नोलॉजी लोगों की जिंदगी आसान बनाए, और इसका उपयोग पारदर्शी और भरोसेमंद तरीके से हो. इन नए नियमों में एआई डेवलपर्स और कंपनियों के लिए 7 मुख्य नैतिक सिद्धांत और 6 बड़े गवर्नेंस पिलर तय किए गए हैं. इनमें डेटा की प्राइवेसी, बायस रोकना, जवाबदेही और सुरक्षा जैसे मुद्दे शामिल हैं.
किसने तैयार किया यह फ्रेमवर्क
इन गाइडलाइंस को तैयार करने के लिए सरकार ने एक विशेष कमेटी बनाई थी, जिसकी अध्यक्षता प्रोफेसर बलरामन रविंद्रन (Balaraman Ravindran) ने की. इस टीम में नीति आयोग, माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च इंडिया, आईआईटी मद्रास (IIT Madras) और आईएसपीआईआरटी फाउंडेशन जैसी संस्थाओं के विशेषज्ञ शामिल थे.
इंडिया-एआई इम्पैक्ट समिट 2026 की भी घोषणा
सरकार ने यह भी बताया कि फरवरी 2026 में दिल्ली में इंडिया-एआई इम्पैक्ट समिट 2026 होगा. इसमें दुनिया भर के एआई एक्सपर्ट्स, नीति निर्माता और इंडस्ट्री लीडर्स हिस्सा लेंगे. इस समिट में यह चर्चा होगी कि एआई को जिम्मेदारी और सुरक्षित तरीके से समाज के भले के लिए कैसे इस्तेमाल किया जाए.
इसी कार्यक्रम में इंडियाएआई मिशन और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) द्वारा आयोजित एआई हैकाथॉन के विजेताओं को भी सम्मानित किया गया. इन टीमों ने खनिज खोज और रिसोर्स मैपिंग में
