नई दिल्ली:– भारतीय आसमान में एयरलाइन ड्यूपॉली का असर हाल ही में तब साफ दिखाई दिया, जब देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो का फ्लाइट शेड्यूल पूरी तरह चरमरा गया। फ्लाइट डिले और कैंसलेशन के चलते हजारों यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि जब बाजार में एयरलाइंस के विकल्प सीमित होते हैं, तो उसका सीधा नुकसान यात्रियों को ही झेलना पड़ता है।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद सिविल एविएशन मंत्रालय ने भारतीय यात्रियों को ज्यादा विकल्प उपलब्ध कराने की दिशा में अपनी कोशिशें तेज कर दी हैं। इसी हफ्ते मंत्रालय ने दो प्रस्तावित एयरलाइंस अल हिंद एयर और फ्लाइएक्सप्रेस को नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) जारी किया है। इससे पहले शंख एयर को भी एनओसी दी जा चुकी है।
2 नई एयरलाइंस उड़ान भरने को तैयार
एविएशन मंत्री राम मोहन नायडू ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसकी जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि पिछले एक सप्ताह में उन्होंने कई नई एयरलाइंस की टीमों से मुलाकात की है, जो भारतीय आसमान में उड़ान भरने की तैयारी में हैं। मंत्री के मुताबिक, मंत्रालय का लगातार प्रयास रहा है कि भारतीय एविएशन सेक्टर में अधिक से अधिक एयरलाइंस को प्रोत्साहित किया जाए।
राम मोहन नायडू ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों की वजह से भारत आज दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते एविएशन मार्केट्स में शामिल है। उड़ान योजना जैसे इनिशिएटिव्स ने स्टार एयर, भारत वन एयर और फ्लाइ91 जैसी छोटी एयरलाइंस को रीजनल कनेक्टिविटी में अहम भूमिका निभाने का अवसर दिया है। उन्होंने कहा कि इस सेक्टर में आगे भी विकास की काफी संभावनाएं मौजूद हैं।
एयरलाइन को लंबे समय तक चलाना बड़ी चुनौती
एविएशन विशेषज्ञों का मानना है कि केवल नई एयरलाइंस को मंजूरी देना पर्याप्त नहीं है। भारतीय एविएशन इकोसिस्टम में ऑपरेटिंग कॉस्ट दुनिया में सबसे ज्यादा मानी जाती है। इसकी प्रमुख वजहें हाई जेट फ्यूल की कीमतें और भारी टैक्स स्ट्रक्चर हैं। एक वरिष्ठ एविएशन ऑब्जर्वर के अनुसार, भारतीय एविएशन सिस्टम में एयरलाइंस को छोड़कर लगभग सभी स्टेकहोल्डर्स मुनाफा कमाते हैं। यही कारण है कि बीते तीन दशकों में कई एयरलाइंस बंद होती रही हैं।
उन्होंने कहा कि नई एयरलाइन शुरू करना संभव है, लेकिन उसे लंबे समय तक एयरबॉर्न बनाए रखना कहीं ज्यादा कठिन होता है। हाई कॉस्ट स्ट्रक्चर, टैक्स का बोझ, मैनेजमेंट की सीमाएं और कमजोर फंडिंग इसकी बड़ी वजहें हैं। इंडस्ट्री अधिकारियों का यह भी मानना है कि एयरलाइन फेल होना सिर्फ भारत की समस्या नहीं, बल्कि एक वैश्विक प्रवृत्ति है। हालांकि भारत में अतिरिक्त चिंता यह है कि यहां एयरलाइंस के लिए माहौल काफी कॉस्ट-होस्टाइल है।
5 प्वाइंट्स में पूरी तस्वीर
इंडिगो शेड्यूल कोलैप्स से ड्यूपॉली की कमजोरी उजागर- हाल ही में इंडिगो का फ्लाइट शेड्यूल बिगड़ने से हजारों यात्री प्रभावित हुए, जिससे यह साफ हुआ कि ड्यूपॉली की स्थिति में यात्रियों के पास सीमित विकल्प ही बचते हैं।
नई एयरलाइंस को एनओसी- प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए एविएशन मंत्रालय ने अल हिंद एयर और फ्लाइएक्सप्रेस को एनओसी दी, जबकि शंख एयर को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है।
एविएशन ग्रोथ पर मंत्री का बयान- एविएशन मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार की नीतियों के कारण भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते एविएशन बाजारों में शामिल हुआ है।
हाई ऑपरेटिंग कॉस्ट बनी सबसे बड़ी बाधा- जेट फ्यूल की ऊंची कीमतें, भारी टैक्स और महंगा ऑपरेटिंग माहौल एयरलाइंस के लिए बड़ी चुनौती बने हुए हैं।
कॉस्ट और टैक्स रैशनलाइजेशन की जरूरत- इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का कहना है कि फ्लाइंग अब लग्जरी नहीं रही है और अगर आम आदमी के लिए हवाई यात्रा को किफायती बनाए रखना है, तो सरकार को लागत और टैक्स में तर्कसंगत सुधार करने होंगे।
