नई दिल्ली : मच्छरों के कारण होने वाली बीमारियां हर साल स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए बड़ी चुनौतियों का कारण बनती हैं। डेंगू से लेकर चिकनगुनिया, मलेरिया से लेकर जीका जैसे रोग मच्छरों के काटने से फैलते हैं। एक अनुमान के मुताबिक इन रोगों के कारण हर साल हजारों की मौत हो जाती है। विशेषतौर पर बरसात के दिनों में जब वातावरण मच्छरों के प्रजनन के अनुकूल हो जाता है, उस समय हर साल इन रोगों के मामले काफी तेजी से बढ़ते हुए देखे जाते रहे हैं। साल 2023 में भी मच्छरजनित रोगों ने लोगों को खूब परेशान किया।
साल 2023 में अब कुछ ही दिन शेष हैं और हम नए साल 2024 में प्रवेश करने जा रहे हैं। ऐसे में आइए इस पूरे साल मच्छरों के कारण देशभर में हुई समस्याओं पर एक नजर डालते हैं। हालांकि साल के अंत में बड़ी खुशखबरी सामने आई।
डेंगू ने किया खूब परेशान
इस पूरे साल वैसे तो मच्छरों के कारण होने वाली कई बीमारियों ने लोगों को खूब परेशान किया, पर सबसे दिक्कत बढ़ाई डेंगू की समस्या ने। भारत ही नहीं पड़ोसी देशों में भी इस बार डेंगू के कारण एक समय स्थिति काफी बिगड़ती हुई देखी गई।
दिल्ली-एनसीआर में साल के शुरुआती महीनों में असमय भारी बारिश के कारण उपजी बाढ़-जलजमाव की स्थिति ने मच्छर जनित बीमारियों के जोखिमों को काफी बढ़ा दिया था। दिल्ली में डेंगू ने करीब छह साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया, 2018 के बाद पहली बार जुलाई में डेंगू के सबसे ज्यादा केस दर्ज किए गए। अगस्त-अकतूबर के माह में भी डेंगू के कारण अस्पतालों में मरीजों की भारी भीड़ देखी जाती रही।
जुलाई-अगस्त के महीनों में राजधानी दिल्ली में डेंगू के तेजी से बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार अलर्ट पर आ गई। मरीजों के सैंपल जीनोम टेस्टिंग के लिए भेजे गए जिसमें यहां डेंगू के गंभीर स्ट्रेन टाइप-2 डेंगू के मामले बढ़ते हुए देखे गए।
डेंगू का संक्रमण
डेंगू वायरस के कारण होता है, जो संक्रमित मच्छरों, मुख्यरूप से एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से फैलता है। ये मच्छर दिन के समय में अधिक काटते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि डेंगू वायरस के चार सीरोटाइप हैं- DENV-1, DENV-2, DENV-3 और DENV-4। दिल्ली में सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग करने पर पता चला कि ज्यादातर रोगियों में स्ट्रेन टाइप-2 का खतरा था। DENV-2 के कारण रोग के गंभीर रूप लेने का खतरा अधिक हो सकता है।
पड़ोसी देश में भी डेंगू का रहा कहर
भारत ही नहीं डेंगू के मामलों ने इस बार पड़ोसी देश बांग्लादेश के लिए भी मुश्किलें काफी बढ़ा दी थीं। जुलाई-अगस्त के महीनों तक ही देश में इस साल डेंगू संक्रमण की संख्या 40 हजार को पार कर गई थी। गौरतलब है कि इससे पहले साल 2022 में यहां डेंगू वायरस के कारण 281 लोगों की मौत हुई थी जो साल 2000 के बाद से सबसे अधिक है। साल 2023 में डेंगू के कारण हालात और भी बदतर देखे गए।
मलेरिया भी रहा बड़ी चिंता
डेंगू के साथ ही साथ मलेरिया के मामलों के कारण भी देशभर के अस्पतालों में रोगियों की संख्या बढ़ती हुई रिपोर्ट की गई। हालांकि ज्यादातर रोगी आसानी से ठीक हो जा रहे थे। समय रहते मलेरिया की स्थिति को देश में कंट्रोल कर लिया गया। इससे पहले साल 2022 में भारत में 45 हजार से अधिक मलेरिया के मामले रिपोर्ट किए गए थे, जबकि 2021 में करीब 1.6 लोगों में इस रोग की पुष्टि हुई थी।
हालांकि मलेरिया के मामलों ने इस साल अमेरिका में जरूर समस्या बढ़ा दी। दक्षिणी अमेरिका के कुछ स्टेट्स में मलेरिया के केस तेजी से बढ़े। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की रिपोर्ट के मुताबिक 2003 के बाद से देश में स्थानीय रूप से रिपोर्ट किए गए मलेरिया के ये पहले ज्ञात मामले थे। मलेरिया को अमेरिका में एंडेमिक मान लिया गया था, हालांकि एक बार फिर से इन मामलों की पुष्टि ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी।
