इंटरनेशनल म्यूजिक डे हर साल21जून को मनाया जाता है.यह दिन यूनेस्को द्वारा 1975 में संगीत वैश्विक महत्व का जश्न मनाने के लिए स्थापित किया गया था.हर किसी को संगीत सुनना पसंद होता है.ये सभी को एक साथ जोड़ता है. संगीत के कई प्रकार हैं, जिनमें शास्त्रीय, पॉप, रॉक, और लोक संगीत शामिल हैं. जिनकी अपनी अलग-अलग विशेषता होती है और यह अलग-अलग भावनाओं को व्यक्त करती है.
शास्त्रीय संगीत में गंभीरता और गहराई होती है, लोक संगीत अक्सर संस्कृति और परंपरा को दर्शाता है.यह न केवल मनोरंजन का साधन है, संगीत का सामाजिक प्रभाव बहुत गहरा होता है. ये लोगों को एक साथ जोड़ने का काम करता है. वहीं व्यक्ति के मन और दिमाग को शांत करें का काम भी करता है.
साथ ही अलग अंदाज में अपने विचारों का व्यक्त करने में मदद करता है. म्यूजिक सुनने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर पॉजिविट प्रभाव पड़ता है. इसलिए म्यूजिक के थेरेपी की तरह उपयोग किया जाता है. ये स्ट्रेस को कम करने के अलावा डिप्रेशन से राहत दिलाने में भी मदद करता है. म्यूजिक का प्रभाव व्यक्ति के ब्रेन पर भी काफी पॉजिटिव पड़ता है, जिससे हमें आनंद और सुकून मिलता है.
स्ट्रेस को कंट्रोल करनाम्यूजिक सुनने में दिमाग को शांति मिलती है. जो स्ट्रेस और डिप्रेशन से राहत दिलाने में मददगार साबित हो सकती है. म्यूजिक मन को शांत करता है और पॉजिटिव ऊर्जा महसूस करने में मदद कर सकता है.
मेडिटेशन के लिए म्यूजिककहा जाता है कि स्ट्रेस और ओवर थिंकिंग को कम करने मे मेडिटेशन मददगार साबित होती है. इसलिए व्यक्ति को रोजाना मेडिटेशन करनी चाहिए. लेकिन शांत जगह पर बैठे रहकर मेडिटेशन हर कोई नहीं कर पाता है. ऐसे में लाइट म्यूजिक की धुन सुनी जा सकती हैं. जिससे दिमाग को आराम मिले, बहुत से लोग मेडिटेशन के दौरान म्यूजिक की धुन सुनना पसंद करते हैं.
मूड बेहतर बनानाबिजी लाइफस्टाइल और कई समस्याओं को लेकर कई बार व्यक्ति का मूड सही नहीं होता है वो चिड़चिड़ापन महसूस करते हैं. ऐसे में म्यूजिक सुनने से काफी आराम मिल सकता है. क्योंकि म्यूजिक सुनने से दिमाग को आराम मिलता है जिससे हैप्पी हार्मोन ज्यादा प्रोड्यूस होते हैं. इससे हमारे मूड को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है. इसके अलावा थकान को कम करने में भी म्यूजिक मदद कर सकता है.