नई दिल्ली:– भारत सरकार ने साल 2025 की शुरुआत में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए नया लेबर कोड लागू कर दिया है। इस नए कानून के तहत अब कामकाजी लोगों को सप्ताह में सिर्फ 4 दिन काम करना होगा और उन्हें 3 दिन की लगातार छुट्टी मिलेगी। यह बदलाव न केवल कर्मचारियों की वर्क-लाइफ बैलेंस को बेहतर बनाएगा बल्कि उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद साबित होगा।
नया लेबर कोड भारत सरकार द्वारा श्रमिकों के हितों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया एक व्यापक कानून है, जो देश की सभी मजदूरी, काम के घंटे, सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और श्रमिकों के अधिकारों को एकीकृत करता है। यह चार मुख्य कोड्स में बांटा गया है और इसका मकसद यह है कि कर्मचारियों को बेहतर कामकाजी माहौल, समय पर वेतन, और पर्याप्त आराम मिल सके, जिससे उनकी जीवन गुणवत्ता में सुधार हो सके।
नया लेबर कोड केंद्र सरकार द्वारा चार कोड में बांटा गया है –
वेज कोड
सोशल सिक्योरिटी कोड
इंडस्ट्रियल रिलेशन्स कोड
ऑक्युपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन कोड
इस नए कानून के तहत कंपनियों को यह स्वतंत्रता दी गई है कि वे हफ्ते में 48 घंटे काम करवाने के लिए कर्मचारियों से 4 दिन में 12-12 घंटे काम करवा सकती हैं। लेकिन इसके बदले कर्मचारियों को लगातार 3 दिन की छुट्टी देना अनिवार्य होगा।
चार दिन काम और तीन दिन छुट्टी की व्यवस्था को लागू करने के लिए कंपनियों को साप्ताहिक 48 घंटे की सीमा को ध्यान में रखना होगा। इसका मतलब यह है कि कर्मचारी रोज़ाना 12 घंटे तक काम करेंगे, जिससे चार दिन में कुल 48 घंटे पूरे हो जाएंगे। इसके बदले में उन्हें लगातार तीन दिन की छुट्टी दी जाएगी। हालांकि यह पूरी तरह से वैकल्पिक है और कर्मचारियों की सहमति के बिना कोई भी कंपनी इसे जबरदस्ती लागू नहीं कर सकती। इसका मकसद काम और निजी जीवन के बीच संतुलन बनाना है।
कर्मचारी हफ्ते में कुल 48 घंटे काम करेंगे
उन्हें 12-12 घंटे की शिफ्ट करनी होगी
छुट्टियों की संख्या में कटौती नहीं की जाएगी
कंपनियों को कर्मचारियों की सहमति लेनी अनिवार्य होगी
असली ज़िंदगी में क्या फर्क पड़ेगा?
रवीना शर्मा (आईटी प्रोफेशनल, पुणे)
रवीना का कहना है, “पहले जब हफ्ते में 6 दिन काम करना पड़ता था, तब खुद के लिए या परिवार के लिए समय ही नहीं मिलता था। अब 3 दिन की छुट्टी से मैं अपने पर्सनल इंटरेस्ट जैसे पेंटिंग और ट्रैवलिंग पर फोकस कर पा रही हूं।”
राजेश वर्मा (फैक्ट्री कर्मचारी, नोएडा)
राजेश बताते हैं, “शुरुआत में 12 घंटे काम करना मुश्किल लगा, लेकिन अब तीन दिन लगातार आराम मिलता है जिससे शरीर और दिमाग दोनों को राहत मिलती है।”
इस बदलाव से क्या होंगे फायदे?
कर्मचारियों का तनाव कम होगा
काम और निजी जीवन में संतुलन बेहतर होगा
कर्मचारियों की प्रोडक्टिविटी बढ़ेगी
कंपनियों को कम हाजिरी की समस्या का सामना करना पड़ेगा
कर्मचारियों का स्वास्थ्य सुधरेगा
किन सेक्टर्स में लागू होगा नया नियम?
नया लेबर कोड सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में लागू किया गया है, लेकिन इसका पालन करना अनिवार्य नहीं है। कंपनियों को इसकी आज़ादी दी गई है कि वे अपनी ज़रूरत और कर्मचारियों की सहमति से इसे अपनाएं। विशेष रूप से निम्न सेक्टरों में यह व्यवस्था तेजी से अपनाई जा रही है
सेक्टर स्थिति
आईटी / सॉफ्टवेयर लागू हो रहा है
मैन्युफैक्चरिंग मिश्रित रुख
शिक्षा क्षेत्र अभी विचाराधीन
हेल्थकेयर बदलाव संभव नहीं
बैंकिंग और फाइनेंस आंशिक रूप से लागू
क्या चुनौतियां भी हैं?
12 घंटे लगातार काम करना सभी के लिए संभव नहीं
कुछ इंडस्ट्रीज में यह नियम व्यवहारिक नहीं है
श्रमिक वर्ग को अतिरिक्त सुविधा और सहयोग की ज़रूरत होगी
कंपनियों को शिफ्ट मैनेजमेंट और टाइमिंग में बदलाव लाना होगा
सरकार ने क्यों उठाया यह कदम?
इंटरनेशनल लेबर स्टैंडर्ड के अनुरूप भारत की छवि बनाना
युवाओं को फ्रीलांसिंग और स्टार्टअप कल्चर के लिए समय देना
महिला कर्मचारियों को वर्क-लाइफ बैलेंस में सहायता
मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना
मैं एक कंटेंट राइटर हूं और पहले हफ्ते में 6 दिन काम करता था। लगातार काम के कारण मानसिक थकावट बनी रहती थी और निजी जीवन प्रभावित हो रहा था। लेकिन जब से हमारी कंपनी ने 4 दिन वर्किंग और 3 दिन की छुट्टी का मॉडल अपनाया है, तब से जीवन में ताजगी लौट आई है। अब मैं हर हफ्ते ट्रैवलिंग या पढ़ाई के लिए समय निकाल पाता हूं। इससे मेरी क्रिएटिविटी और प्रोडक्टिविटी दोनों बढ़ी है।
नया लेबर कोड भारत के कामकाजी वर्ग के लिए एक सकारात्मक बदलाव है। हालांकि इसके कुछ व्यावहारिक पहलू चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं, लेकिन अगर कंपनियां और कर्मचारी मिलकर इसे संतुलित रूप में अपनाएं तो यह मॉडल देश की कार्यसंस्कृति को नई दिशा दे सकता है। 4 दिन काम और 3 दिन छुट्टी का यह फॉर्मूला भारतीय वर्कफोर्स को वैश्विक मानकों पर और मजबूत बना सकता है।