नई दिल्ली:– सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में दो अहम बिल पेश किए, जिनका सीधा असर तंबाकू, पान मसाला और दूसरे ‘सिन गुड्स’ पर पड़ने वाला है। सरकार ने सेंट्रल एक्साइज (अमेंडमेंट) बिल 2025 और हेल्थ सिक्योरिटी से नेशनल सिक्योरिटी सेस बिल 2025 पेश करते हुए कहा कि मौजूदा GST कम्पेनसेशन सेस खत्म होने के बाद इन वस्तुओं पर नए टैक्स ढांचे की जरूरत है। फिलहाल तंबाकू और पान मसाला पर 28% GST के साथ अलग-अलग दरों पर कम्पेनसेशन सेस लगता है, लेकिन दिसंबर में राज्य सरकारों को मुआवजा देने के लिए लिया गया कर्ज पूरा चुका दिया जाएगा, जिसके बाद यह सेस खत्म हो जाएगा। इसलिए सरकार ने नए सेस और नई एक्साइज ड्यूटी लगाने का रास्ता खोल दिया है।
नए एक्साइज अमेंडमेंट बिल में तंबाकू उत्पादों जैसे सिगरेट, सिगार, हुक्का, जर्दा और चबाने वाले तंबाकू पर नई एक्साइज ड्यूटी लगाने का प्रस्ताव है। इसके तहत सिगरेट पर प्रति 1,000 स्टिक ₹5,000 से ₹11,000 तक एक्साइज ड्यूटी लगाई जा सकती है। वहीं, कच्चे तंबाकू पर 60–70% और निकोटीन आधारित इनहेलेशन प्रोडक्ट्स पर 100% तक टैक्स प्रस्तावित है। अभी सिगरेट पर 5% एड-वेलोरम टैक्स के साथ 2,000 से 3,600 रुपये प्रति 1,000 स्टिक सेस लगता है, लेकिन जैसे ही मौजूदा सेस खत्म होगा, तंबाकू उत्पादों पर 40% GST + एक्साइज ड्यूटी लागू हो जाएगी। सरकार का कहना है कि इससे टैक्स का बोझ पहले जैसा ही रहेगा और राजस्व में कमी नहीं आएगी।
नया सेस लगाने का प्रस्ताव
दूसरी तरफ, हेल्थ सिक्योरिटी से नेशनल सिक्योरिटी सेस बिल में पान मसाला जैसे उत्पादों पर नया सेस लगाने का प्रस्ताव है। सरकार ने कहा कि यह सेस दो बड़े उद्देश्यों को पूरा करेगा। पहला, इसका एक हिस्सा सार्वजनिक स्वास्थ्य पर खर्च किया जाएगा और दूसरा, राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी आवश्यकताओं पर। सरकार जरूरत पड़ने पर अन्य उत्पादों पर भी यह सेस लागू कर सकती है। विपक्षी सांसद सौगत रॉय ने दोनों बिलों का विरोध करते हुए कहा कि तंबाकू हानिकारक होने के बावजूद बिल में इसका जिक्र नहीं है और सेस की राशि राज्यों के साथ साझा न होने के कारण वे इसके पक्ष में नहीं हैं।
5 सालों के लिए तय किया गया था कम्पेनसेशन सेस
GST लागू होने के समय 2017 में राज्यों को राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए कम्पेनसेशन सेस पांच साल के लिए तय किया गया था, जिसे बाद में 2026 तक बढ़ाया गया। कोविड के समय उठाए गए कर्ज को चुकाने के लिए यह सेस जारी रहा। लेकिन अब जब यह कर्ज दिसंबर तक पूरा चुक जाएगा, तो तंबाकू और पान मसाला पर वर्तमान सेस बंद हो जाएगा। बाकी लग्जरी आइटम्स पर कम्पेनसेशन सेस पहले ही सितंबर में समाप्त हो चुका है। ऐसे में ये दोनों नए बिल यह सुनिश्चित करेंगे कि सिन गुड्स पर टैक्स पहले जैसी दरों पर ही जारी रहे और सरकार व राज्यों के राजस्व में कोई कमी न आए।
