नई दिल्ली:– जिला स्तर पर व्यापक निगरानी की व्यवस्था
प्रदेश के सभी जिलों के मुख्य शिक्षा अधिकारियों को तत्काल आदेश दिया गया है कि वे अपने क्षेत्राधिकार में आने वाले निजी स्कूलों द्वारा आरटीई अधिनियम के तहत किए गए प्रवेशों की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करें। इन रिपोर्टों को शिक्षा महानिदेशालय को जमा करना होगा जिसके आधार पर आगे की कार्य योजना निर्धारित की जाएगी। मुख्य शिक्षा अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया गया है कि वे सरकारी और निजी दोनों प्रकार के स्कूलों का अचानक निरीक्षण करें। इन निरीक्षणों के दौरान शैक्षणिक संसाधनों की उपलब्धता, बुनियादी सुविधाओं की स्थिति और शिक्षकों की नियुक्ति संबंधी जानकारी एकत्रित की जाएगी।
उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय
बुधवार को शासकीय आवास में आयोजित समीक्षा बैठक में मंत्री डॉक्टर रावत ने विभागीय अधिकारियों के साथ आरटीई अधिनियम के क्रियान्वयन की समीक्षा की। बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि सभी निजी शैक्षणिक संस्थानों के लिए निर्धारित मानदंडों के अनुसार वंचित वर्गीय बच्चों को प्रवेश देना अनिवार्य है। आरटीई के सुचारू संचालन की जिम्मेदारी जिला स्तर पर मुख्य शिक्षा अधिकारी और खंड स्तर पर खंड शिक्षा अधिकारी को सौंपी गई है। यदि कोई शैक्षणिक संस्थान इन नियमों का उल्लंघन करता पाया जाता है तो उसे नोटिस जारी करके उसकी मान्यता रद्द करने की कार्रवाई की जा सकती है।