मध्यप्रदेश:– किराये पर रहना शुरुआती दिनों में राहत देता है, क्योंकि आपको डाउन पेमेंट या लोन लेने की जरूरत नहीं होती. लेकिन हर साल किराया बढ़ता है और अंत में लाखों रुपये खर्च हो जाते हैं, जिनसे कोई संपत्ति नहीं बनती. यानी किराया अल्पकालिक सस्ता है, पर दीर्घकाल में जेब ढीली करता है.
EMI शुरू में किराये से ज्यादा लग सकती है, लेकिन हर किस्त के साथ आप अपनी संपत्ति बना रहे होते हैं. कुछ साल बाद वही घर आपकी पूंजी बन जाता है. अगर संपत्ति की कीमत बढ़ती है, तो यह निवेश और भी फायदेमंद हो जाता है, यानी EMI आज का खर्च, कल की कमाई है.
अगर आपकी नौकरी स्थिर है और आय नियमित रूप से बढ़ रही है, तो EMI भरना अधिक समझदारी भरा कदम है. लेकिन अगर नौकरी अनिश्चित है, बार-बार शहर बदलना पड़ता है या सेविंग कम है, तो EMI का बोझ भारी पड़ सकता है. ऐसे में किराये पर रहना आपको लचीलापन देता है.
घर की EMI पर मिलने वाला टैक्स लाभ एक बड़ा फायदा है. होम लोन पर आप ब्याज और मूलधन दोनों पर टैक्स छूट पा सकते हैं. दूसरी तरफ, किराये पर रहने से ऐसी छूट नहीं मिलती, लेकिन आपको किसी शहर या नौकरी के बदलाव में घर बेचने या संभालने की झंझट नहीं रहती.
अगर आपके पास घर है, तो उसे किराये पर देकर EMI निकलवाना एक समझदारी भरा कदम हो सकता है. आप खुद किसी सस्ते किराये के घर में रह सकते हैं और अपने निवेश को सुरक्षित रख सकते हैं. इस तरह आप संपत्ति भी बनाए रखते हैं और महीने के खर्च का बोझ भी कम कर सकते हैं।
