रीवा:- पीरियड्स के दौरान महिलाओं को कई काम करने की मनाही होती है. जैसे रसोई में जाना, अचार छूना, पूजा-पाठ करना या मंदिर जाना आदि हनुमान चालीसा का पाठ ना करना और तुलसी माला का जाप न करना. आपके मन में भी यह सवाल उठता होगा कि आखिर ऐसा क्यों होता है. आइए रीवा कोठी कंपाउंड शिव मंदिर के पुजारी पंडित विरेश कुमार शास्त्री से जानते हैं कि इसके पीछे क्या कारण है.
शास्त्री जी बताते हैं कि मासिक धर्म का रक्त स्राव से होता है और लाल रंग का संबंध मंगल ग्रह से है और मंगल ग्रह शुभ फल का दाता होता है. उस दौरान आपके द्वारा किया गया अनुष्ठान आपके भाग्य फल पर जल्दी असर कर सकता है, इसलिए वर्जित होता है, और मासिक धर्म के दौरान महिलाओ के आसपास कई प्रकार के उर्जा प्रवाहित होती है, नकारात्मक उर्जा भी प्रभावी होती है. इसलिए राहु केतु का प्रभाव अधिक जल्दी आपके भाग्य पर पड़ सकता है. इसलिए तुलसी माला का स्पर्म नहीं करना चाहिए और हनुमान चालीसा का पाठ भी नहीं करना चाहिए.
इन्हीं मान्यताओं के अनुसार, महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान मंदिर जाने, धार्मिक ग्रंथों को छूने या मंत्रों का जाप न करने की सलाह दी जाती थी. यही कारण है की इसे “अशुद्ध” माना जाने लगा. ऐसे में उन्हे आराम करने के लिए को मिल जाता था, ताकि उन्हें रोज़मर्रा के कामों से थोड़ी राहत मिल सके. इस वजह से कई धार्मिक परंपराओं में पीरियड्स के दौरान हनुमान चालीसा का पाठ करने से मना किया जाता था.
हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि पीरियड्स के दौरान महिला द्वारा तुलसी में जल डालने से तुलसी का पौधा सूख जाता है. क्योंकि इस समय महिलाओं के शरीर में ऊर्जा का संचार अधिक होता है. इस ऊर्जा को भगवान सहन नहीं कर पाते. इसलिए पीरियड्स के दौरान पूजा-पाठ करना या मंदिर जाना वर्जित है.
पीरियड्स के 5वें दिन आप बालों को धोकर पूजा-पाठ कर सकती हैं. कई महिलाओं को 7 दिनों तक भी पीरियड्स होते हैं. ऐसी स्थिति में भी आप 5वें दिन बालों को धोकर पूजा-पाठ के में शामिल हो सकती हैं.