मध्य प्रदेश के सरकारी और निजी स्कूलों में शिक्षक ने अगर बच्चों की पिटाई की तो उन पर एफआइआर होगी। स्कूल में बच्चों को सजा देने पर पाबंदी लगाई गई है। इसके संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग ने निर्देश जारी किए। सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को इसके संबंध में पत्र भेजकर जानकारी मांगी गई है। बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने स्कूल शिक्षा विभाग को पत्र लिखा। बच्चों को स्कूलों में सजा देने के मामले में रिपोर्ट मांगी है। इसके आधार पर स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी जिलों को निर्देश जारी किए। इसमें सजा पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई है, साथ ही जिलों में आए इस तरह के मामलों की जानकारी देने के लिए भी कहा गया।
सजा पर पहले से रोक, स्कूलों को भेजा गया रिमान्डर
अनिवार्य शिक्षा अधिनियम के तहत प्रदेश में 9 साल पहले बच्चों को स्कूल में सजा देने पर रोक लगाई जा चुकी है। ऐसा करने वाले शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है। स्कूल शिक्षा विभाग ने इसी का रिमान्डर जारी किया है।
राजधानी में आया था मामला
राजधानी के एक निजी स्कूल में बच्चे को सजा देने का मामला आया था। उसके बाद प्रकरण बाल अधिकार एवं संरक्षण आयोग पहुंचा।
अब तक कितने बच्चों को शिक्षकों ने दी सजा, इसका सत्यापन होना अभी बाकी
स्कूल शिक्षा विभाग ने जिलों से ब्योरा मांगा है। इसमें उन्हें बताना है कि कितने शिक्षकों ने बच्चों को सजा दी। यह आंकड़ा निजी और सरकारी दोनों स्कूलों से जुटाया जाएगा। बाल संरक्षण आयोग भी इस पर नजर रखेगा। बच्चों को सजा देने के मामले में अभी निजी स्कूलों से ज्यादा मामले सामने आए। ऐसे में अब शिक्षकों के सत्यापन का मुद्या भी उठाया जाएगा। इसके संबंध में पहले ही आदेश जारी हुए थे।