नई दिल्ली:– साइबर खतरों से निपटने के लिए भारत सरकार कड़े कदम उठा रही है. दूरसंचार विभाग ने साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करने और दुरुपयोग की रोकथाम के लिए सिम बाइंडिंग का निर्देश किया जारी किया है, जिसके तहत व्हाट्सएप, टेलीग्राम जैसे मैसेजिंग ऐप्स को उस सक्रिय सिम कार्ड से लिंक रहना होगा जिससे यूजर ने रजिस्टर किया है. अगर सिम बदल दिया जाता है, तो 6 घंटे के अंदर ऐप लॉगआउट हो जाएगा और फिर से लॉगिन के लिए उसी सिम कार्ड की जरूरत होगी. इस नियम को 90 दिनों के भीतर लागू करना अनिवार्य है.
जानकारी के मुताबिक दूरसंचार विभाग ने व्हाट्सएप, टेलीग्राम, सिग्नल और स्नैपचैट जैसे मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स को “सिम बाइंडिंग” लागू करने के लिए 90 दिन का समय दिया है. यह एक ऐसी अनिवार्यता है जिसके तहत अगर उपयोगकर्ता पंजीकरण के लिए इस्तेमाल किया गया सिम कार्ड हटा देते हैं, तो ये ऐप्स काम करना बंद कर देंगे.
धोखाधड़ी करने वालों पर सख्ती
फरवरी 2026 से प्रभावी इस निर्देश में यह भी अनिवार्य किया गया है कि इन ऐप्स के वेब वर्जन हर छह घंटे में उपयोगकर्ताओं को लॉग आउट करें, जिसके लिए क्यूआर कोड के ज़रिए नए प्रमाणीकरण की आवश्यकता होगी. अधिकारियों का कहना है कि यह उपाय उन साइबर धोखाधड़ी करने वालों को निशाना बनाता है जो मौजूदा व्यवस्था का फायदा उठाते हैं, जहां सिम कार्ड निकालने, बदलने या निष्क्रिय करने के बाद भी ऐप्स काम करते रहते हैं. सरकार का तर्क है कि भारत के बाहर से सक्रिय अपराधी इस खामी का फायदा उठाकर साइबर धोखाधड़ी और घोटाले कर रहे हैं.
दूरसंचार विभाग का निर्देश
दूरसंचार विभाग निर्देश के मुताबिक सभी कंपनियां ऐप आधारित संचार सेवाएं, जो अपने ग्राहकों/उपयोगकर्ताओं की पहचान के लिए या सेवाओं के प्रावधान या वितरण के लिए भारतीय मोबाइल नंबर का उपयोग कर रही हैं, उन्हें 90 दिनों के भीतर इसका पालन करना होगा. वेब एक्सेस प्रदान करने वाले ऐप्स को समय-समय पर लॉगआउट और रीलिंकिंग लागू करनी होगी, ताकि एक बार प्रमाणित और विदेश से संचालित खातों के दुरुपयोग को रोका जा सके.
अनिवार्य सिम बाइंडिंग, जो पहले से ही बैंकिंग/यूपीआई प्रणालियों में मानक है, अब फ़िशिंग, डिजिटल गिरफ्तारी, प्रतिरूपण और निवेश घोटालों से निपटने के लिए संचार ऐप्स तक विस्तारित की गई है.
फोन में संचार साथी एप जरूरी
इसके साथ ही दूरसंचार विभाग ने कंपनियों को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि कंपनियां नए स्मार्टफोन में साइबर सिक्योरिटी एप ‘संचार साथी’ (Sanchar Saathi) पहले से डाउनलोड करके ही बेचें. विभाग ने एप्पल, सैमसंग, वीवोऔर ओप्पो जैसे सभी बड़े स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों को 9 महीने की समय-सीमा दी है. विभाग ने मोबाइल हैंडसेट निर्माताओं और आयातकों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि 90 दिन के भीतर सभी नए उपकरणों में धोखाधड़ी की सूचना देने वाला ऐप संचार साथी पहले से लगा हो.
स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों से कहा गया है कि नए मोबाइल फोन में प्री-इंस्टॉल Sanchar Saathi ऐप को यूजर्स किसी तरह डिलीट या अनइंस्टाल ना कर सकें. यही नहीं जिन फोन्स को पहले ही बेचा जा चुका है, उनमें भी सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए यह एप इंस्टॉल करने की बात आदेश में कही गई है.
