नई दिल्ली: – उत्तराखंड स्थित पतंजलि फूड्स की निर्माण इकाई में निर्मित लाल मिर्च पाउडर का एक नमूना असुरक्षित घोषित किया गया, यह जानकारी केंद्र सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में दी.
रिपोर्ट के मुताबिक, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने एक लिखित उत्तर में कहा, ‘वर्ष 2024–25 में मसालों पर चलाए गए सैंपलिंग अभियान के दौरान उत्तराखंड स्थित पतंजलि फूड्स की निर्माण इकाई से लिया गया लाल मिर्च पाउडर का एक नमूना असुरक्षित पाया गया, क्योंकि उसमें पाए गए कीटनाशक अवशेषों का स्तर निर्धारित अधिकतम अवशेष सीमा (एमआरएल) से अधिक था.’
उन्होंने बताया कि परीक्षण के निष्कर्षों के आधार पर संबंधित प्राधिकरण ने रिकॉल आदेश जारी किया, जिसके बाद संबंधित खाद्य व्यवसाय संचालक (एफबीओ) ने प्रभावित उत्पाद को बाजार से वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की.
हालांकि, मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि अमूल ब्रांड के किसी भी उत्पाद का कोई नमूना खाद्य सुरक्षा और मानक विनियमों में निर्धारित मानकों के विरुद्ध असुरक्षित नहीं पाया गया है.
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा के इस प्रश्न पर कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठा रही है कि बाजार में उपभोक्ताओं को केवल गुणवत्ता-परीक्षित और सुरक्षित खाद्य उत्पाद ही उपलब्ध हों.
मंत्री ने कहा, ‘भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) को खाद्य पदार्थों के लिए विज्ञान-आधारित मानक निर्धारित करने तथा उनके निर्माण, भंडारण, वितरण, बिक्री और आयात को विनियमित करने का दायित्व सौंपा गया है, ताकि मानव उपभोग के लिए सुरक्षित और पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके.’
उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के क्रियान्वयन और प्रवर्तन की जिम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकारों के बीच साझा है.
मंत्री ने आगे बताया कि निर्धारित मानकों, सीमाओं और अन्य वैधानिक आवश्यकताओं के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए एफएसएसएआई, उसके क्षेत्रीय कार्यालय और राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों के खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण पूरे वर्ष नियमित रूप से स्थानीय/लक्षित विशेष प्रवर्तन और निगरानी अभियान, जिनमें राष्ट्रीय वार्षिक निगरानी योजना (एनएएसपी), निरीक्षण और सैंपलिंग गतिविधियां शामिल हैं, संचालित करते हैं.
उन्होंने कहा, ‘यदि मानकों से किसी भी प्रकार की लापरवाही या खाद्य सुरक्षा एवं मानक विनियमों (एफएसएसआर) का उल्लंघन पाया जाता है, तो संबंधित दोषी खाद्य व्यवसाय संचालकों (एफबीओ) के खिलाफ खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 और उससे जुड़े नियमों के तहत नियामकीय कार्रवाई, जिसमें दंडात्मक कदम भी शामिल हैं, की जाती है.’
गौरतलब है कि इसी महीने की शुरुआत में सामने आया था कि पतंजलि निर्मित घी का सैंपल क्वालिटी कंट्रोल टेस्ट में फेल हो गया है, जिसके कारण उत्तराखंड की एक स्थानीय अदालत ने कंपनी पर जुर्माना लगाया. खबरों के अनुसार, राष्ट्रीय और राज्य स्तर की, दोनों लैब ने घी में मिलावट पाई, जिसके बाद अधिकारियों ने निर्माता के साथ ही इसके डिस्ट्रीब्यूटर और रिटेलर पर कुल मिलाकर 1.40 लाख रुपये से ज़्यादा का जुर्माना लगाया.
पतंजलि फूड्स एफएमसीजी क्षेत्र में काम करता है और बिस्कुट, नूडल्स और चीनी सहित खाद्य तेल और पैकेज्ड खाद्य पदार्थों की एक श्रृंखला बेचता है.
बता दें कि इस साल जनवरी में एफएसएसएआई ने पतंजलि फूड्स को अपने लाल मिर्च पाउडर के एक बैच को गुणवत्ता मानकों का अनुपालन करने के कारण वापस लेने का निर्देश दिया था. उस समय कंपनी के सीईओ संजीव अस्थाना ने एक बयान में कहा था, ‘पतंजलि फूड्स ने चार टन ‘लाल मिर्च पाउडर के छोटे बैच (200 ग्राम का पैक) को बाजार से वापस ले लिया है.’
इसके बाद मई 2024 में उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने सोन पापड़ी के गुणवत्ता परीक्षण में फेल होने के बाद पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के एक सहायक प्रबंधक (असिस्टेंट मैनेजर) सहित तीन लोगों को छह महीने जेल की सजा सुनाई थी. इन तीनों पर जुर्माना भी लगाया गया था.
इससे पहले उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक रूल्स, 1945 के बार-बार उल्लंघन के लिए पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और दिव्य फार्मेसी के 14 उत्पादों के विनिर्माण लाइसेंस को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था.
जिन दवाओं के विनिर्माण लाइसेंस को निलंबित किया गया था उनमें ‘स्वसारि गोल्ड’, ‘स्वसारि वटी’, ‘ब्रॉन्चोम’, ‘स्वसारि प्रवाही’, ‘स्वसारि अवालेह’, ‘मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पावर’, ‘लिपिडोम’, ‘बीपी ग्रिट’, ‘मधुग्रिट’, ‘मधुनाशिनी वटी एक्स्ट्रा पावर’, ‘लिवामृत एडवांस’, ‘लिवोग्रिट’, ‘आईग्रिट गोल्ड’ और ‘पतंजलि दृष्टि आई ड्रॉप’ शामिल थीं.
उल्लेखनीय है कि पिछले साल कैंसर पैदा करने वाले कीटनाशकों के कथित तौर पर उच्च स्तर पर पाए जाने के बाद हांगकांग और सिंगापुर में मसाला निर्माताओं एमडीएच और एवरेस्ट के कुछ उत्पादों की बिक्री को निलंबित करने के बाद पिछले वर्ष घरेलू मसाला उद्योग जांच के दायरे में आ गया था. सरकार ने भी गुणवत्ता मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कंपनियों का निरीक्षण शुरू कर दिया था.
