उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सुरंग ढहने से करीब 10 दिनों से 41 मजदूर फंसे हैं। मजदूरों को निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। रेस्क्यू कर रहीं एजेंसियों को बड़ी सफलता मिली। पहली बार मजूदरों को पाइप के जरिए खाना भेजा गया। इसके अलावा सुरंग के अंदर का वीडियो भी सामने आया है। रेस्क्यू में लगे अधिकारियों ने मजदूरों से बात भी की है।
दरअसल, साल 2018 में थाइलैंड में एक हादसा हुआ था जिसमें जूनियर फुटबॉल टीम के कोच समेत 12 बच्चे एक गुफा में फंस गए थे। इसके बाद चलाए गए बचाव कार्य से पूरी दुनिया हैरत में पड़ गई थी।
जून 2018 में थाईलैंड की जूनियर एसोसिएशन फुटबॉल टीम अपने कोच के साथ अभ्यास कर रही थी। इसके तहत उन्होंने थाम लुआंग गुफा में प्रवेश किया, लेकिन इसमें कोई खतरा नहीं था। हालांकि टीम के अंदर जाने के कुछ देर बाद ही बारिश हो गई। इसके बाद गुफा में पानी भर गया और सभी रास्ते बंद हो गए।

थाइलैंड और म्यांमार की सामा पर दोई नांग पहाड़ के नीचे लगभग 10 किमी लंबी गुफा है। यह गुफा अंदर की ओर संकरी होती जाती है। इसके अंदर चूना पत्थर की आकृतियां और चट्टानें भी हैं। पानी भरने के बाद गुफा के प्रवेश द्वारा को खोज पाना करीब अंसभव था।
गुफा के अंदर 11 से 16 साल तक के एक दर्जन बच्चे और 25 साल के असिस्टेंट कोच इकापॉल चंथावॉन्ग फंसे थे। इस हादसे के करीब एक हफ्ते बाद गुफा के पास कोई पहुंच पाया। अधिकतक लोगों ने मान लिया था कि सभी की मौत हो गई होगी, लेकिन रेस्क्यू टीमों ने उम्मीद नहीं छोड़ी।
नौ दिन बीत जाने के बाद ब्रिटिश गोताखोर गुफा के प्रवेश द्वार तक पहुंच सके। उन्हें पता चला कि बच्चे गुफा के अंदर एक ऊंची चट्टान पर मौजूद हैं। इसके बाद असल रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया।
इस रेस्क्यू मिशन को सैन्य ऑपरेशन की तरह पूरा किया गया। इस ऑपरेशन में करीब 10 हजार लोग शामिल हुए थे, जिसमें 100 से अधिक गोताखोर ही थे। इसके साथ ही एंबुलेंस, सैनिक, पुलिस और मेडिकल टीमें भी काम में लगी थीं। रॉयल थाई नेवी सील गुफा से पानी निकालने का काम कर रही थी, ताकि रास्ता बनाया जा सके। इस दौरान एक गोताखोर की जान चली गई, लेकिन ऑपरेशन बंद नहीं हुआ।
गुफा के अंदर ऑक्सीजन का लेवल कम होता जा रहा था और बच्चे भूखे थे। सबसे पहले डाइवर्स की मदद से बच्चों तक खाना पहुंचाया गया, जो लिमिटेड था। गुफा का पानी गंदा होने और साफ नहीं दिखाई देने की वजह से भी इस काम में समय लगा।
गुफा के संकरे रास्ते होने की वजह से रेस्क्यू में काफी परेशानी हुई। गोताखोर बच्चों को अपनी पीठ से बांधकर बाहर निकलने लगे। एक-एक बच्चे को पहले चट्टान से हटाया गया और गुफा के कुछ आगे तक लाया गया। इसके बाद टीम के दूसरे सदस्य बच्चों को गुफा के प्रवेश द्वार तक लेकर आए। हर फंसे शख्स को बाहर निकालने में 6 से 8 घंटे का समय लगा। 10 जुलाई तक मिशन पूरा हुआ और सभी 12 बच्चों समेत कोच को सही सलामत बाहर निकाल लिया गया।