नई दिल्ली:– कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों के लिए अब अस्पताल के चक्कर काटना और हर छोटी समस्या के लिए डाक्टर तक दौड़ना बीते दिनों की बात हो सकती है। एम्स भोपाल ने फेफड़ों के कैंसर (लंग कैंसर) के मरीजों के लिए ‘ऐप-आधारित सपोर्टिव केयर’ का एक आधुनिक डिजिटल मॉडल प्रस्तुत किया है। इस तकनीक के जरिए मरीज घर बैठे ही अपनी सेहत की निगरानी कर सकेंगे और उन्हें समय पर विशेषज्ञ सलाह मिल सकेगी।
एम्स भोपाल के मेडिकल ऑन्कोलॉजी एवं हीमैटोलाजी विभाग की सहायक प्राध्यापक डा. आकांक्षा चौधरी ने बताया कि एक विशेष मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए कैंसर मरीजों की देखभाल (सपोर्टिव केयर) को बेहतर बनाया जा सकता है। यह ऐप मरीजों को उनकी दवाओं के समय, साइड इफैक्ट्स की निगरानी और भावनात्मक सहयोग प्रदान करने में मददगार साबित होगा। बोस्टन के मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल में किए गए सफल शोध का हवाला देते हुए उन्होंने भारत में भी ऐसे ऐप्स को अपनाने की आवश्यकता जताई है।
डिजिटल प्लेटफार्म होने के कारण डॉक्टर और मरीज के बीच संवाद का अंतर कम होगा, जिससे उपचार के परिणामों में सकारात्मक सुधार आएगा। राष्ट्रीय मंच पर गूंजा एम्स का डिजिटल मंत्र इस नवाचार को टाटा मेमोरियल हास्पिटल, मुंबई द्वारा आयोजित ईयर एंड रिव्यू इन लंग कैंसर राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रमुखता से रखा गया। 19 से 21 दिसंबर तक चले इस तीन दिवसीय आयोजन में एम्स दिल्ली, राजीव गांधी कैंसर संस्थान और मेदांता जैसे संस्थानों के विशेषज्ञ शामिल हुए।
डा. आकांक्षा चौधरी ने सम्मेलन में फैकल्टी और पैनलिस्ट की भूमिका निभाते हुए बताया कि एम्स भोपाल न केवल कीमोथेरेपी और इम्यूनोथेरेपी जैसी सुविधाएं दे रहा है, बल्कि अब तकनीक के जरिए ”पर्सनलाइज्ड केयर” पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है।एम्स की मेडिकल आन्कोलाजी यूनिट में वर्तमान में नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेंसिंग और टार्गेटेड थेरेपी जैसे उन्नत उपचार उपलब्ध हैं।
