प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को अयोध्या में बन रहे भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर का उद्घाटन करेंगे. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में पीएम मोदी यजमान होंगे, लेकिन उससे पहले 11 दिनों तक अनुष्ठान के दौरान रामायण की कहानी से जुड़े देश के 6 बड़े मंदिरों के दर्शन करने के बाद आज अयोध्या पहुंचेंगे. पीएम मोदी के दक्षिण भारत में विभिन्न मंदिरों में पूजा-पाठ के अनुष्ठान को जब रामलला के श्री जन्मभूमि पर बन रहे भव्य मंदिर से जोड़कर देखते हैं तो दक्षिण से राम नगरी अयोध्या की यात्रा बहुत कुछ बयां कर रही है.
हालांकि, भगवान राम का राज्याभिषेक तो तभी हुआ था जब उन्होंने रावण वध के बाद दक्षिण से उत्तर की यात्रा की थी. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले पीएम मोदी ने भी दक्षिण भारत के विभिन्न मंदिरों में पूजा-पाठ कर सियासी संदेश देने के साथ-साथ रामलला को उत्तर के साथ दक्षिण से जोड़ने की कोशिश के तहत देखा जा रहा.देशभर में राममय माहौल
अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले पीएम नरेंद्र मोदी 11 दिनों का अनुष्ठान करने के बाद सोमवार 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होंगे. 12 से 22 जनवरी तक चलने वाले अनुष्ठान का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यम नियमों का पूरी तरह से पालन किया है. राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की वजह से देशभर में माहौल राममय हो चुका है और पीएम मोदी ने दक्षिण के दौरा करके भविष्य के लिए मजबूत सियासी आधार भी रख दिया है.मंदिर के जरिए सियासी संदेशरामलला की प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान 12 जनवरी को शुरू हुआ था, उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र के कालाराम मंदिर में जाकर पूजा-पाठ की थी.
महाराष्ट्र के श्री कालाराम मंदिर परिसर में खुद सफाई की और उनकी इस पहल ने देश भर में मंदिरों की साफ-सफाई के लिए एक जन आंदोलन की शुरुआत की थी. कालाराम का मंदिर भगवान राम, माता सीता और भाई लक्ष्मण को समर्पित है. इस प्राचीन मंदिर के बारे में कहा जाता है भगवान राम 14 साल के वनवास के दौरान माता सीता और लक्ष्मण के साथ यहां पंचवटी में आकर ठहरे थे. इस वजह से इस जगह को लेकर खास मान्यता है. भारत के पश्चिम राज्य में भगवान राम के इस अद्भुत मंदिर से पीएम मोदी ने देश को बड़ा सियासी संदेश दिया था.
अनुष्ठान के दौरान पीएम ने किए मंदिरों के दर्शनपीएम मोदी ने 16 जनवरी को आंध्र प्रदेश के वीरभद्र मंदिर में दर्शन किए और पूजा-अर्चना किया था. इस दौरान तेलुगु में रंगनाथ रामायण के छंद के माध्यम से प्रस्तुत जटायु की कहानी देखी. साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने शिवश्री स्कंदप्रसाद द्वारा कन्नड़ में गाए गए भगवान श्रीराम के भजन वीडियो को साझा किया. हिंदू महाकाव्य रामायण पर आधारित एक कठपुतली शो भी देखा जिसमें राम, लक्ष्मण, सीता और रावण को दर्शाया गया.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, लेपाक्षी वह स्थान है जहां पौराणिक गिद्ध जटायु सीता का अपहरण करने वाले रावण द्वारा किए गये हमले में गंभीर रूप से घायल होने के बाद गिरे थे.अंतिम सांस लेने से पहले जटायु ने भगवान राम को बताया था कि सीता को वास्तव में रावण दक्षिण की ओर ले गया था.इसके बाद भगवान राम ने जटायु को मोक्ष प्रदान किया.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 जनवरी को केरल के त्रिप्रयार में श्री रामास्वामी मंदिर और आंध्र प्रदेश के गुरुवयूर में लेपाक्षी मंदिर का जाकर दर्शन किया.
इस दौरान उन्होंने पूजा-अर्चना किया. 20 जनवरी को पीएम मोदी ने भगवान श्रीराम के पूर्वज माने जाने वाले श्री रंगनाथस्वामी के श्रीरंगम मंदिर में पूजा-अर्चना की. इसके बाद वे धनुषकोडी के श्री कोथंड्रामा स्वामी मंदिर और प्रभु श्रीराम के पैरों के निशान को समर्पित रामनाथस्वामी मंदिर और रामर पथम मंदिर में पूजा किया.पीएम मोदी ने 21 जनवरी को अरिचल मुनाई पहुंचे थे. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मुनाई में राम सेतु बनाया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस जगह पर डुबकी भी लगाई, जहां बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर का मिलन होता है. धनुषकोडि में कोदंडरामस्वामी मंदिर में जाकर माथा टेका.
प्राण प्रतिष्ठा के निमंत्रण पत्र और अक्षत वितरण करने वालों तथा अयोध्या की धरती से भेजे गए इन अक्षतों का केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में जिस तरह लोगों ने श्रद्धा भाव से स्वागत किया है, जो भविष्य के लिए बड़ा सियासी संकेत है. मोदी ने प्राण प्रतिष्ठा से पहले देश के तमाम मंदिरों में घूम-घूमकर और पूजा अर्चना करके हिंदुत्व के एजेंडे को सेट करने की कोशिश की है.हिंदुत्व के मुद्दे पर बीजेपी आगे2014 के बाद से देश की सियासत बदल गई है , अल्पसंख्यक पर केंद्रित राजनीति बहुसंख्यक समुदाय के इर्द-गिर्द सिमट गई है. हिंदू समुदाय के एक बड़े तबके का झुकाव बीजेपी की तरफ बढ़ है. 2014 और उसके बाद 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर सियासी जंग फतह करने में कामयाब रही है.
इसी का नतीजा है कि तथाकथित धर्मनिरपेक्ष कहलाने वाली विपक्षी पार्टी के नेता भी अब मंदिरों में जाकर माथा टेक रहे हैं, लेकिन बीजेपी इस पर काफी बढ़त बना चुकी है. हिंदुत्व के मुद्दे पर बीजेपी से पार पाना विपक्षी दल या फिर किसी दूसरे दल के लिए आसान नहीं है.पीएम मोदी राममंदिर के शिलांयास से लेकर प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य कर्ताधर्ता बन रहे हैं. प्राण प्रतिष्ठा में यजमान है तो उपवास रखने के बाद से पीएम मोदी जो कर रहे हैं, उस पर उनकी पार्टी, विपक्षी नेता और राजनीतिक पंडित बहुत बारीक नजर रख रहे हैं.सियासी तौर पर इसे अलग-अलग नजरिए से देखा जा रहा है. पीएम मोदी ने पहले ही 2024 का लोकसभा अभियान शुरू कर दिया है. सियासी जानकारों की माने तो बीजेपी उत्तरी राज्यों में चुनाव परिणाम को लेकर संतुष्ट है, लेकिन दक्षिण को लेकर चिंतित है.दक्षिण के राज्यों पर पीएम की नजरबीजेपी के सामने कर्नाटक की 28 में से 25 सीटें और तेलंगाना में चार सीटें बरकरार रखने की चुनौती है.