भगवान भोलेनाथ सबसे सरल व सहज देवता है. कहा जाता है कि भगवान भोलेनाथ एक लोटा जल से भी प्रसन्न हो जाते हैं. देवों के देव महादेव की आराधना से भक्तों को हर कष्टों से मुक्ति मिल जाती है.
खास बात ये है कि इस साल महाशिवरात्रि का पर्व18 फरवरी 2023 को मनाया जा रहा है। महाशिवरात्रि का पर्व महादेव भगवान शिव की उपासना का त्योहार है। हिंदू धर्म में इस पर्व का बहुत महत्व है। इस दिन लोग भगवान शिव की पूजा करते हैं और शिवलिंग पर जलाभिषेक कर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करते है। हिंदुओं की आस्था और विश्वास है जो महाशिवरात्रि के पावन मौके पर श्रद्धालुओं को देशभर के शिवालयों और ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के लिए आकर्षित करता है।
वैसे तो भारत में 12 ज्योतिर्लिंग, कई विश्व प्रसिद्ध शिव मंदिर हैं, जहां आप महाशिवरात्रि के मौके पर भगवान भोलेनाथ के दर्शन और पूजा अर्चना के लिए जा सकते हैं।हालांकि अगर आप उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं और राज्य में ही करीब के प्रसिद्ध शिवालयों के दर्शन करना चाहते हैं तो भी आपको कई मंदिरों के विकल्प मिल सकते हैं। यह रहे यूपी में स्थित प्रसिद्ध शिव मंदिर, जहां भक्त महाशिवरात्रि पर दर्शन के लिए जा सकते हैं।
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, बनारस
विश्व प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उत्तर प्रदेश में स्थित है। यूपी की पवित्र नगरी बनारस, जिसे काशी भी कहते हैं, वहां बाबा विश्वनाथ का धाम है। बनारस में गंगा नदी के पश्चिम घाट पर सातवें ज्योतिर्लिंग काशी विश्वनाथ का मंदिर है। मान्यता है कि भोले नाथ की प्रिय नगरी काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी हुई है। वहीं धार्मिक आस्था के मुताबिक, ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से पाप मिट जाते हैं।
गोला गोकर्णनाथ
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में गोला तहसील में भगवान शिव की नगरी गोला गोकर्णनाथ स्थित है। इसे छोटा काशी भी कहते हैं। गोला गोकर्णनाथ के दर्शन के लिए दूर दराज से श्रद्धालु आते हैं। कहते हैं कि लंका के राजा रावण भगवान शिव को यहां लेकर आए थे। लंका जाते समय रास्ते में लघुशंका के लिए उन्होंने जमीन में भगवान शिव को रख दिया, जिसे बाद में वह जमीन से हिला भी न पाए। गुस्से में रावण ने अंगूठे से शिवलिंग को दबा दिया। इस स्थान को गोला गोकर्णनाथ कहते हैं और आज भी यहां स्थित शिवलिंग पर रावण के अंगूठे के निशान हैं।
लोधेश्वर महादेव मंदिर
कानपुर के प्रसिद्ध लोधेश्वर महादेव मंदिर में प्रतिवर्ष फाल्गुनी मेले में भीड़ देखने को मिलती है। लोग बिठुर और कानपुर से गंगाजल लेकर लोधेश्वर महादेव के दर्शन और जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान की थी। सावन और महाशिवरात्रि पर भी यहां भक्त पहुंचते हैं।
मनकामेश्वर मंदिर
संगम नगरी प्रयागराज में सरस्वती घाट के पास यमुना नदी के तट पर मनकामेश्वर मंदिर स्थित है। इस मंदिर में सावन के मौके पर भक्तों की भीड़ लगती है। यहां भगवान शिव को सभी संगम जल से स्नान कराते हैं और उनके दर्शन करते हैं। इस स्थान का भी बहुत महत्व है। सोमवार और नवरात्रि के मौके पर तीर्थयात्री यहां अपनी मनोकामनाएं लेकर पहुंचते हैं।
गढ़ मुक्तेश्वर धाम
उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में गंगा नदी के किनारे गढ़ मुक्तेश्वर धाम स्थित है। यहां प्राचीन शिवलिंग कारखंडेश्वर और मुक्तेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है। मान्यता है कि परशुराम ने गढ़मुक्तेश्वर में भगवान शिव के मंदिर की स्थापना की थी। यह स्थान वल्लभ संप्रदाय का प्रमुख केंद्र माना जाता है। यहां भी गढ़ मेले के दौरान काफी भीड़ होती है और श्रद्धालु दर्शन के लिए दूर दराज से पहुंचते हैं।