छत्तीसगढ़:– छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश की सीमा पर सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिली है, जहां घने जंगलों में हुई मुठभेड़ में देश का मोस्ट वांटेड नक्सली कमांडर माडवी हिड़मा उसकी दूसरी पत्नी राजे उर्फ राजक्का समेत छह नक्सली ढेर हो गए। यह मुठभेड़ सुबह 6 से 7 बजे के बीच आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू (ASR) जिले के मारेदुमिल्ली इलाके में हुई। मारे गए नक्सलियों में लकमल, कमलू, मल्ला और देवे भी शामिल हैं, जिसमें देवे हिड़मा का गार्ड बताया जा रहा है। मौके से दो AK-47, एक रिवॉल्वर और एक पिस्तौल बरामद की गई हैं।
50 लाख का इनामी हिड़मा: 150 से ज्यादा जवानों की हत्या का मास्टरमाइंड
44 वर्षीय हिड़मा पर 50 लाख रुपये का इनाम था और वह पिछले दो दशकों से देश का सबसे खतरनाक, हाई-रिस्क और टॉप लेवल नक्सली कमांडर माना जाता रहा। उसके खिलाफ 150 से ज्यादा जवानों की हत्या, बड़े हमलों की प्लानिंग और घात लगाकर किए गए आक्रामक ऑपरेशनों का रिकॉर्ड है। वह छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र और आंध्र के घने जंगलों को अपना सुरक्षित अड्डा बनाकर चलता था और सुरक्षाबलों के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण चेहरे में से एक था।
कौन था हिड़मा?
हिड़मा का जन्म 1981 में दक्षिण सुकमा के पुवार्ती गांव में हुआ था और सिर्फ 16 साल की उम्र में वह नक्सल संगठन में शामिल हो गया। फुर्तीला, तेज दिमाग वाला और युद्ध रणनीतियों को जल्द सीख लेने के कारण वह जल्द ही संगठन का सबसे खतरनाक चेहरा बन गया। वह पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PGLA) की बटालियन-1 का चीफ था और माओवादी स्पेशल जोनल कमेटी (DKSZ) का भी महत्वपूर्ण सदस्य था। इसके अलावा वह CPI (माओवादी) की 21 सदस्यीय केंद्रीय समिति में भी शामिल था।
हिड़मा के बड़े हमले: 2004 से 30 से ज्यादा हमलों में शामिल
हिड़मा ने 2004 से अब तक 30 से ज्यादा बड़े नक्सली हमलों का नेतृत्व किया, जिनमें 2013 का झीरम घाटी नरसंहार, 2021 का बीजापुर हमला, 2017 का बुर्कापाल हमला और 2010 का ताड़मेटला हमला प्रमुख हैं। झीरम घाटी हमले में उसने कांग्रेस नेता नंदकुमार पटेल, महेंद्र कर्मा, विद्याचरण शुक्ल सहित 27 लोगों की हत्या कर दी थी। वहीं बुर्कापाल में उसने 24 जवानों को और बीजापुर में 22 जवानों को शहीद कर दिया था। ताड़मेटला में 76 CRPF जवानों की हत्या वाले हमले की कमान भी उसी के हाथ में थी।
चार लेयर की सुरक्षा और फौजी अनुशासन वाला जीवन
हिड़मा बेहद अनुशासित जीवन जीता था। वह हर दिन सुबह 4 बजे उठता, अपनी बटालियन से PT करवाता, दुनिया भर की खबरें पढ़ता और फिर साथियों के साथ रणनीति बनाता। उसकी सुरक्षा चार लेयर में होती थी, जिसमें 200 से 250 नक्सली 24 घंटे उसकी सुरक्षा में तैनात रहते थे। शुगर की बीमारी के चलते वह ज्यादा रोटी खाता था और बीफ का शौकीन बताया जाता है। उसके मारे जाने के बाद सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि नक्सली संगठन को बड़ा झटका लगा है। वहीं ASR जिले के जंगलों में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ अब भी जारी है और और भी नक्सलियों के पकड़े जाने या मारे जाने की आशंका है। इसे हाल के वर्षों की सबसे बड़ी नक्सल-विरोधी सफलता माना जा रहा है।
