रायपुर :- साल 1914 में पहला विश्व युद्ध शुरू हुआ था. जो कि साल 1918 में खत्म हुआ. दुनिया में युद्ध में काफी तबाही देखी इसलिए आगे युद्ध ना हो इसके लिए साल 1929 में राष्ट्र संघ नाम का एक संगठन बनाया गया. लेकिन यह संगठन किसी काम नहीं आया और 1939 में दूसरा वर्ल्ड वाॅर शुरू हो गया. जो 1945 तक चला. इसके बाद गठन हुआ संयुक्त राष्ट्र संघ यानी यूनाइटेड नेशंस.
यह संगठन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति आर्थिक विकास मानव अधिकार और सामाजिक प्रगति के लिए बनाया गया. यूनाइटेड नेशंस में 193 देश है. वहीं यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल में पांच स्थाई सदस्य हैं. भारत एक लंबे समय से सिक्योरिटी काउंसिल का स्थाई सदस्य बनने के लिए प्रयास कर रहा है. लेकिन सफलता मिल नहीं पा रही है. आखिर इसके पीछे क्या कारण है चलिए जानते हैं.
क्या है UN सुरक्षा परिषद?
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र का सबसे अहम हिस्सा कहा जाता है. इस पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति सुरक्षा कायम रखने का जिम्मा है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद किसी देश पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगा सकता है.किसी देश पर सैन्य कार्रवाई कर सकता है. UN सुरक्षा परिषद अगर कोई प्रस्ताव जारी करता है तो उसे संयुक्त राष्ट्र के बाकी देशों को मनाना होता है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानी UNSC में कुल 15 सदस्य देश हैं. जिनमें 5 स्थाई देश हैं. तो वहीं 10 अस्थाई तौर पर शामिल होते रहते हैं.
UN सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य
जब संयुक्त राष्ट्र का गठन हुआ था. तभी इसके सुरक्षा परिषद में पांच स्थाई सदस्य बना दिए गए थे. जिसमें रूस संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम और चीन शामिल है. यह पांचो देश वह देश है जो सेकंड वर्ल्ड वॉर में एक साथ लड़े थे और जीते थे. इन सभी देशों के पास वीटो पावर होती है. जिसके तहत संयुक्त राष्ट्र के किसी भी फैसले को यह रोक सकते हैं.
भारत को क्यों जगह नहीं मिल रही?
दरअसल भारत को UN सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बनाने की मांग काफी समय से की जा रही है. कई मौकों पर दूसरे देशों ने भी इस बात का समर्थन किया है. लेकिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य चीन भारत की राह में रोड़ा बन रहा है. चीन के पास वीटो पावर है. जब भी भारत को स्थाई सदस्य बनाने की मांग उठती है चीन उसे मांग को रोक देता है.
इसको लेकर कई लोगों के और भी तर्क है. उनका कहना है कि कि भारत ने अभी भी नॉन प्रॉलिफरेशन ट्रीटी यानी परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं और साथ ही व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि यानी सीटीबीटी पर साइन करने से मना कर दिया है. यह भी एक वजह है.
तो वहीं कुछ लोगों का मानना है कि भारत ही नहीं बल्कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सीट लेने के लिए कई और देश भी लाइन में लगे हुए हैं. जिनमें ब्राजील, जापान और जर्मनी शामिल हैं. इसलिए अब तक यह तय नहीं हो पाया है कि भारत को जगह देनी है या नहीं।