नई दिल्ली:– भारतीय संस्कृति और वास्तु शास्त्र में पेड़-पौधों को सिर्फ हरियाली का हिस्सा नहीं, बल्कि देवी-देवताओं का स्वरूप और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। इन्हीं पौधों में से एक है केले का पौधा, जिसे हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और शुभ माना गया है। घर में केले का पौधा लगाने से ना केवल सुख-समृद्धि आती है, बल्कि यह धन और खुशहाली का भी प्रतीक माना जाता है। आइए जानते हैं वास्तु के अनुसार केले के पौधे का महत्व और इसे घर में लगाने के कुछ खास नियम।
धन और खुशहाली का प्रतीक है केले का पौधा
केले का पौधा भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। यही कारण है कि बृहस्पतिवार (गुरुवार) के दिन भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति की पूजा में केले के पत्ते और फल का विशेष रूप से इस्तेमाल किया जाता है। माना जाता है कि केले के पेड़ में स्वयं भगवान विष्णु का वास होता है। जिस घर में यह पौधा होता है, वहां विष्णु भगवान की कृपा हमेशा ही बनी रहती है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, केले का पौधा घर की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है। साथ ही, घर में सकारात्मकता लेकर आता है। यह घर में शांति और खुशहाली लाने में मदद करता है। इसके अलावा, यह घर के सदस्यों के बीच प्रेम और खुशहाली भी बढ़ाता है।
केले का पौधा लगाने के नियम:
केले के पौधे का पूरा लाभ पाने के लिए इसे सही दिशा और सही जगह पर लगाना बहुत जरूरी है।
सही दिशा: वास्तु के अनुसार, केले का पौधा हमेशा ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में लगाना चाहिए। यह दिशा देवताओं की दिशा मानी जाती है और अत्यंत शुभ होती है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है।
जगह का चुनाव: केले के पौधे को कभी भी घर के मुख्य द्वार के ठीक सामने या घर के बिल्कुल बीच में नहीं लगाना चाहिए। इसे घर के पिछले हिस्से में या आंगन में लगाना शुभ होता है। ध्यान रहे कि यह पौधा इतना बड़ा न हो कि घर में आने वाली धूप या हवा को रोक दे।
साफ-सफाई: केले के पौधे के आसपास हमेशा साफ-सफाई रखनी चाहिए। गंदे स्थान पर लगाने से इसके शुभ प्रभाव कम हो सकते हैं। नियमित रूप से सूखे पत्तों को हटाते रहें।
पूजा-अर्चना: गुरुवार के दिन केले के पौधे की पूजा करना विशेष रूप से फलदायी होता है। इस दिन पौधे को जल अर्पित करें, हल्दी और गुड़ चढ़ाएं। इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।
तुलसी के पास नहीं: केले के पौधे को कभी भी तुलसी के पौधे के पास नहीं लगाना चाहिए। इन दोनों पौधों को अलग-अलग जगह पर रखना ही उचित माना जाता है।
