नई दिल्ली:– शिव पुराण से लेकर विष्णु पुराण और स्कंद पुराण में कैलाश पर्वत का जिक्र मिलता है. कई ग्रंथों में इसे पृथ्वी की धुरी और स्वर्ग का रास्ता बताया गया है. कैलाश पर्वत, हिंदू धर्म के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक तो है ही. बौद्ध, बॉन, जैन और सिख धर्म भी इसे बहुत पवित्र मानते हैं.
कैलाश पर्वत भारत, चीन और तिब्बत की सीमा से करीब 100 किलोमीटर दूर चीन द्वारा शासित पश्चिमी तिब्बत इलाके में है. यह 6656 मीटर ऊंची चोटी है. यानी माउंट एवरेस्ट से छोटी. इसके बावजूद आज तक कोई भी शख़्स कैलाश पर्वत पर चढ़ नहीं पाया. तिब्बत में प्रचलित कहानियों के मुताबिक बौद्ध भिक्षु मिलारेपा इकलौते शख्स थे, जो कैलाश पर्वत की चोटी पर जाए पाए थे. हालांकि इसका प्रमाण नहीं है.
तमाम पर्वतारोहियों ने कैलाश पर्वत के शिखर पर चढ़ने की कोशिश की, लेकिन असफल रहे. रूसी पर्वतारोही सर्गेई सिस्टियाको माउंट कैलाश की चढ़ाई के लिए निकले और जब वह चोटी पर पहुंचने के करीब थे, तब उनकी तबीयत अचानक बहुत बिगड़ गई और वापस लौटना पड़ा. एक और पर्वतारोही कर्नल आरसी विल्सन कहते हैं कि जब वह शिखर पर चढ़ने लगे तो अचानक भारी बर्फबारी होने लगी और उन्हें मजबूरन नीचे लौटना पड़ा.
वैज्ञानिकों के एक दल ने भी कैलाश पर्वत पर चढ़ने की कोशिश की. तिब्बती लामा उन्हें बार-बार मना करते रहे. आखिरकार उन्होंने सलाह हार मान ली. पर टीम में शामिल चार पर्वतारोहियों की एक या दो साल के भीतर मृत्यु हो गई. तमाम पर्वतारोही कहते हैं कि कैलाश पर्वत पर कोई अदृश्य शक्ति है, जो उन्हें उपर चढ़ने से रोकती है.हालांकि वैज्ञानिकों और एक्सपर्ट्स का तर्क इससे इतर है. वे कहते हैं कि माउंट कैलाश, भले ही माउंट एवरेस्ट से छोटा है, पर उसका एंगल बहुत शार्प है. चोटी एकदम खड़ी है, इसलिये उसकी इसपर चढ़ना लोहे के चने चबाना जैसा है. साल 2001 में चीन सरकार ने कैलाश की चढ़ाई पर रोक लगा दी है.
कैलाश पर्वत को लेकर और भी तरह-तरह के दावे किये जाते हैं. कुछ लोग दावा करते हैं कि कैलाश पर्वत पर रहस्यमयी लाइट जलती दिखती है. कई जगह दावा मिलता है कि यहां से अजीब-अजीब आवाजें आती रहती हैं. ऐसे दावे भी मिलते हैं कि कैलाश पर एलियन और यति रहते हैं.