नई दिल्ली : ऋतिक रोशन की कमर की मांसपेशी में खिंचाव आ गया है। डॉक्टरों ने उन्हें बैसाखी के सहारे चलने की सलाह दी है। खुद उन्होंने यह बात बताई है। इसके अलावा पोस्ट में उन्होंने अपने दादाजी से जुड़ा एक किस्सा सुनाया है।
अभिनेता ऋतिक रोशन ने आज अपनी एक तस्वीर इंस्टाग्राम पर साझा की है, जिसे देखकर फैंस की चिंता बढ़ गई है। तस्वीर में एक्टर बैसाखी के सहारे खड़े नजर आ रहे हैं और उनकी कमर पर बेल्ट बंधी है। इन दिनों फिल्म ‘फाइटर’ को लेकर चर्चा बटोर रहे ऋतिक रोशन चोटिल हो गए हैं। हालात ऐसे हो चले हैं कि उन्हें खड़े होने के लिए बैसाखी का सहारा लेना पड़ रहा है। अभिनेता ने तस्वीर के साथ एक लंबा नोट लिखा है, जिसमें उन्होंने पूरी बात बताई है।
सुनाया दादाजी से जुड़ा किस्सा
ऋतिक रोशन की कमर की मांसपेशी में खिंचाव आ गया है। डॉक्टरों ने उन्हें बैसाखी के सहारे चलने की सलाह दी है। खुद उन्होंने यह बात बताई है। इसके अलावा पोस्ट में उन्होंने अपने दादाजी से जुड़ा एक किस्सा सुनाया है। ऋतिक तस्वीर में पाजामा टीशर्ट पहने दिख रहे हैं। बैसाखी के सहारे खड़े होकर उन्होंने अपनी मिरर सेल्फी ली है। इसके साथ लिखा है, ‘आपमें से कितने लोगों को कभी व्हीलचेयर या बैसाखी का सहारा लेने की जरूरत पड़ी है और उस वक्त आपको कैसा महसूस हुआ’?
दादा की हालत देख पहुंचा दुख
एक्टर ने कहा कि उनके दादा ने एक बार एयरपोर्ट पर व्हीलचेयर लेने से मना कर दिया था, क्योंकि उन्हें अनजान लोगों के सामने कमजोर नहीं दिखना था। एक्टर ने बताया कि उन्होंने अपने दादाजी को समझाने की काफी कोशिश की और कहा, ‘डैडा, ये सिर्फ एक चोट है और आपकी उम्र से इसका कोई ताल्लुक नहीं है। इससे आपको कोई नुकसान नहीं होगा, बल्कि आपकी चोट जल्दी ठीक होगी। लेकिन वे नहीं माने। उन्हें देखकर मुझे बेहद दुख हुआ कि वे अपने अंदर के डर और शर्मिंदगी को छिपाने के लिए किस तरह मजबूत दिखने की कोशिश कर रहे थे। मैं इसका अर्थ नहीं समझ सका’।
कंडीशनिंग पर की बात
ऋतिक रोशन ने आगे लिखा, ‘मैंने उन्हें काफी समझाया कि उन्हें चोट की वजह से व्हीलचेयर की जरूरत है। बुढ़ापे की वजह से नहीं। फिर भी उन्होंने मना कर दिया। उन्होंने उन अनजान लोगों के सामने अपनी मजबूत छवि दिखाने के लिए ऐसा किया, जिन्हें कोई फर्क भी नहीं पड़ रहा था। इससे उनका दर्द और ज्यादा बढ़ गया और हीलिंग में भी काफी वक्त लगा’। ऋतिक ने आगे कहा, ‘यह सब कंडीशनिंग का असर है। मेरे पिता की कंडीशनिंग भी ऐसे हुई। उन्हें लगता है, ‘पुरुष मजबूत होते हैं’।
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समझाए मजबूती के मायने
अगर आप सोचते हैं कि सैनिकों को कभी बैसाखियों की जरूरत नहीं पड़ती। अगर उन्हें मैडिकल वजहों से इनकी जरूरत पड़ती भी है तो उन्हें मना कर देना चाहिए, वह भी यह वहम बरकरार रखने के लिए कि वे मजबूत हैं। तो मैं इसे सिर्फ मूर्खता मानता हूं। मेरा मानना है कि असली ताकत आराम और संयम है। साथ ही यह जागरुकता भी असली ताकत है, जिसमें आप यह भरोसा रख सकें कि कोई भी बैसाखी या व्हीलचेयर आपकी उस छवि को नहीं बदल सकते, जैसे आप भीतर से हैं’।