मध्य प्रदेश विधानसभा 2023 के लिए जनता ने अपना फैसला दिया है. सूबे की 230 विधानसभा सीटों पर शुक्रवार को मतदान हुआ, जिसमें 2533 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम मशीन में कैद हो चुकी है. पिछली बार के विधानसभा चुनाव की तरह इस बार भी वोटिंग को लेकर मतदाताओं में उत्साह दिखा. एमपी में 76.22 फीसदी मतदान इस बार रहा जबकि 2018 के चुनाव में 75.63 फीसदी वोटिंग ही हुई थी. इस तरह से करीब 1 फीसदी मतदान ज्यादा रहा. वहीं छत्तीसगढ़ में पिछले चुनाव के मुकाबले 2 फीसदी कम वोटिंंग हुई.चुनाव आयोग ऐप वोटर टर्न-आउट के मुताबिक, मध्य प्रदेश चुनाव में आगर मालवा जिले में सबसे अधिक 83.31 फीसदी वोटिंग दर्ज की गई जबकि भिंड जिले में सबसे कम 58.41 फीसदी वोटिंग रही.
मध्य प्रदेश के 55 जिलों में से 15 जिलो में 58 फीसदी से 70 फीसदी के बीच वोटिंग रही जबकि 40 जिलों में 70 फीसदी से ऊपर मतदान रहा. आगर मालवा, बालाघाट, नीमच, राजगढ़, रतलाम, सेवनी और शाजापुर जिले में 80 फीसदी से ज्यादा वोटिंग हुई. हालांकि, अभी मतदान के आंकड़ों में कुछ इजाफा हो सकता है.एमपी का वोटिंग ट्रेंडमध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव वोटिंग ट्रेंड को देखें तो पिछले चुनाव से इस बार एक फीसदी वोटिंग ज्यादा हुई. पिछले 38 सालों में हुए 8 विधानसभा चुनाव के वोटिंग प्रतिशत का विश्लेषण करें तो रोचक बात सामने आती है, जब-जब मतदान लगभग 5 फीसदी बढ़ता है तो सत्ता परिवर्तन हो जाता है. इस बार भी वोटिंग प्रतिशत बढ़ा है, जिसके चलते राजनीतिक दलों की धड़कनें बढ़ गई हैं.
इस बार कांग्रेस और बीजेपी के बीच भले ही सीधा मुकाबला हो, लेकिन बसपा, सपा, आम आदमी पार्टी सहित तमाम सियासी दल चुनावी मैदान उतरने से कई सीटों पर त्रिकोणीय लड़ाई दिख रही है.2018 के विधानसभा चुनाव में 75.63 फीसदी मतदान रहा था जबकि 2013 के चुनाव में 72.66 फीसदी रहा. इस तरह तीन फीसदी वोटिंग इजाफा ने मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन कर दिया था. 2018 के चुनाव में बीजेपी को 109 सीटें तो कांग्रेस को 114 सीटें मिली थी जबकि 2013 के चुनाव को देखें तो बीजेपी के पास 165 तो कांग्रेस के पास 58 सीटें मिली थी. इस तरह से कांग्रेस को 56 सीटों का फायदा मिला था तो बीजेपी को 56 सीटों का नुकसान. 2013 के चुनाव की जैसी 2023 में वोटिंग हुई है, लेकिन क्या नतीजे भी वैसे ही रहेंगे?38 साल में ये रहा वोटिंंग का आंकड़ामध्य प्रदेश में साल 1985 से लेकर 2018 के विधानसभा चुनाव के वोटिंग पैटर्न को देखें तो हर वोटिंग पिछले चुनाव की तुलना में बढ़ी है.
1985 की तुलना में 1990 में लगभग साढ़े चार फीसदी ज्यादा लोगों ने वोटिंग की तब प्रदेश में बीजेपी ने कांग्रेस से सत्ता छीन ली थी. इसके तीन साल बाद हुए चुनाव में करीब साढ़े 6 प्रतिशत ज्यादा मतदान हुआ तो फिर परिवर्तन हुआ और इस बार सत्ता की कमान कांग्रेस के हाथ में आई.1985 में 49.85 फीसदी मतदान रहा था जबकि 1990 में 54.19 फीसदी वोटिंग हुई थी. इस तरह से 6 फीसदी ज्यादा वोटिंग ने बीजेपी की सीटों में भी इजाफा कर दिया था. एमपी में उस समय 320 सीटें हुआ करती थी. 1990 में बीजेपी 58 सीटों से बढ़कर 220 पर पहुंच गई थी जबकि कांग्रेस 250 से घटकर 56 सीटों पर आ गई थी.
सात 1993 के विधानसभा चुनाव में 60 फीसदी मतदान रहा, जो 1990 की तुलना में छह फीसदी ज्यादा था. कांग्रेस 56 सीटों से बढ़कर 174 सीट पर पहुंच गई और बीजेपी 220 सीटों से घटकर 119 पर आ गई. पांच साल बाद 1998 के चुनाव हुए तो 1993 की तरह वोटिंग 60 फीसदी के करीब रही. इसके चलते सीटों में भी बहुत ज्यादा अंतर नहीं रहा. कांग्रेस 172 से 174 पर पहुंची तो बीजेपी 119 से घटकर 117 पर आ गई.छत्तीसगढ़ के अलग होने के बाद मध्य प्रदेश में 2003 के विधानसभा चुनाव हुए तो इस बार 1998 के मुकाबले 7 फीसदी ज्यादा वोट रही. करीब 67 फीसदी लोगों ने मतदान किया था. छत्तीसगढ़ के राज्य बनने जाने से एमपी की सीटें घटकर 230 हो गई थी.
बीजेपी 173 सीटें तो कांग्रेस महज 38 सीटें जीत सकी थी. दस साल के बाद बीजेपी मध्य प्रदेश की सत्ता में वापसी की. उमा भारती ने दिग्विजय सिंह की सरकार का तख्ता पलट किया था.2003 के बाद हुए दो चुनाव हुए है. 2008 के चुनाव में 69.23 फीसदी वोटिंग रही तो 2013 के चुनाव 72.66 फीसदी वोटिंग रही. इस तरह से 2.03 प्रतिशत और 3.38 प्रतिशत ज्यादा वोटिंग हुई. प्रदेश में भाजपा सत्ता में बरकरार रही, लेकिन 2018 में तीन फीसदी ज्यादा वोटिंग होने से सत्ता बदल गई थी. कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे का मुकाबला रहा था. कांग्रेस को जरूर 114 सीटें मिली थी, लेकिन बहुमत से दो सीटें कम थी. 2018 के मुकाबले इस बार तीन फीसदी कम मतदान रहा है.
ऐसे में देखना है कि क्या नतीजे रहते हैं?छत्तीसगढ़ का ये रहा वोटिंग ट्रेंडछत्तीसगढ़ में शुक्रवार को 72.98 फीसदी वोट पड़े. प्रदेश में सबसे ज्यादा वोटिंग बालोद में हुई जहां 77.65 फीसदी वोट पड़े. इसके बाद रायगढ़ रहा जहां 75.16 प्रतिशत मत पड़े. शुक्रवार को छत्तीसगढ़ की 70 सीटों पर वोट डाले गए थे. शाम पांच बजे तक प्रदेश में कुल 67.34 प्रतिशत वोट पड़ चुके थे. मतदान समाप्ति के बाद चुनाव आयोग की ओर से जो आंकड़ा बताया गया उसमें 72.98 फीसदी वोटिंग की बात कही गई, 2018 के मुकाबले ये तकरीबन 2 फीसदी कम है.