
देश की स्वास्थ्य सुविधाओं में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) का आना एक बड़े बदलाव का संकेत है। पीएम मोदी ने सोमवार को इस मिशन को लॉन्च किया था। उन्होंने कहा था कि इस मिशन में वो ताकत है, जो भारत की स्वास्थ्य सुविधाओं में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।
इस डिजिटल पहल के तहत सभी नागरिकों के लिए एक यूनिक हेल्थ आईडी बनेगी और इसमें डिजिटल हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स और स्वास्थ्य सुविधाएं शामिल होंगी।
यूनिक हेल्थ आईडी क्या है और इसे कैसे पाएं: अगर कोई शख्स आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) का हिस्सा बनना चाहता है, तो उसे एक हेल्थ आईडी बनानी होगी। ये 14 डिजिट का एक नंबर होगा। इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से 3 जगहों पर किया जा सकेगा, जिसमें विशिष्ट पहचान, प्रमाणीकरण और हेल्थ रिकॉर्ड्स शामिल रहेंगे।
पोर्टल पर खुद ही रजिस्ट्रेशन करके या अपने मोबाइल में एबीएमडी हेल्थ रिकॉर्ड्स ऐप डाउनलोड करके कोई भी शख्स अपनी हेल्थ आईडी बना सकता है। लाभार्थी को सहमति प्रबंधन के लिए व्यक्तिगत स्वास्थ्य रिकॉर्ड (पीएचआर) का सेटअप भी करना होगा।
पीएचआर एड्रेस क्या है: यह एक सरल स्व-घोषित यूजरनेम है, जिसे लाभार्थी द्वारा स्वास्थ्य सूचना के लेन-देन और सहमति प्रबंधन के लिए हेल्थ इनफॉरमेशन एक्सचेंज एण्ड कंसेंट मैनेजर (HIE-CM) में साइन इन करना जरूरी है। हेल्थ रिकॉर्ड से जुड़े डेटा को साझा करने के लिए हर हेल्थ आईडी को एक कंसेंट मैनेजर से लिंक करना अनिवार्य है।
HIE-CM एक एप्लीकेशन है, जिसके जरिए यूजर अपने पर्सनल हेल्थ रिकॉर्ड्स को शेयर और लिंक कर सकते हैं।
हेल्थ आईडी के लिए रजिस्टर करने की जरूरत क्या है: आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) के तहत आप मोबाइल और आधार से हेल्थ आईडी बना सकते हैं। आगे चलकर पैन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस से भी ये काम हो सकेगा।
मोबाइल और आधार से हेल्थ आईडी बनाते समय यूजर से उसका नाम, जन्म तिथि, जेंडर, पता और मोबाइल/आधार नंबर मांगा जाता है। अगर आपके पास आधार कार्ड नहीं है, तो भी आप केवल मोबाइल नंबर के जरिए रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं।
वहीं अगर आप आधार कार्ड के जरिए हेल्थ आईडी बना रहे हैं, तो जो नंबर आपके आधार से कनेक्टेड है, उस पर एक ओटीपी आएगा। अगर आपका नंबर आधार कार्ड से लिंक नहीं है, तो आपको नजदीकी सेंटर पर जाकर बायोमैट्रिक प्रमाणीकरण करवाना होगा।
क्या इसमें यूजर के हेल्थ रिकॉर्ड्स सुरक्षित हैं: NHA ने कहा है कि ABDM किसी भी लाभार्थी के स्वास्थ्य रिकॉर्ड को स्टोर नहीं करता है। रिकॉर्ड्स को हेल्थकेयर इनफॉरमेशन प्रोवाइडर के पास उनकी रिटेंशनल पॉलिसी के तहत स्टोर किया जाता है। इस डाटा को यूजर की सहमति मिलने के बाद ही एबीडीएम नेटवर्क पर साझा किया जाता है।
क्या हेल्थ आईडी को डिलीट करके इस प्लेटफॉर्म से बाहर आ सकते हैं: NHA का कहना है कि आप हेल्थ आईडी को डिलीट भी कर सकते हैं और उसे कुछ समय के लिए डिएक्टिवेट भी कर सकते हैं। डिलीट ऑप्शन पर जाने से आपकी आईडी सारी डिटेल्स के साथ हमेशा के लिए डिलीट हो जाएगी, इसे रीस्टोर नहीं किया जा सकेगा।
वहीं आईडी डिएक्टिवेट करने पर यूजर केवल उतने समय के लिए ABDM एप्लीकेशन पर लॉगइन नहीं कर सकेगा, जब तक आईडी डिएक्टिवेट है। इसे बाद में रीस्टोर किया जा सकता है।
लाभार्थियों को क्या लाभ मिलेगा: आप अपने डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड्स को एडमिशन, ट्रीटमेंट और डिस्चार्ज के वक्त एसेस कर सकते हैं।
इसके अलावा आप अपने पर्सनल हेल्थ रिकॉर्ड को अपनी आईडी से एसेस और लिंक कर एक हेल्थ हिस्ट्री बना सकते हैं।
इस सुविधा से वेरीफाइड डॉक्टरों तक पहुंच आसान होगी। आप बच्चे के जन्म से ही उसकी एक हेल्थ आईडी और डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड बना सकते हैं। जिन लोगों के पास फोन नहीं है, उनका काम हेल्थ आईडी से ही हो जाएगा।
इस सरकारी आईडी से प्राइवेट सेक्टर कैसे जुड़ेगा: एनएचए ने एक एनडीएचएम सैंडबॉक्स लॉन्च किया है। ये एक डिजिटल आर्किटेक्चर है जो प्राइवेट सेक्टर को राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा बनने में मदद करता है।
प्राइवेट सेक्टर एनएचए को सैंडबॉक्स एनवायरमेंट के साथ अपने सिस्टम का परीक्षण करने के लिए अनुरोध भेज सकता है। इसके बाद एनएचए एसेस और हेल्थ आईडी एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस उपलब्ध करवाएगा। एक सफल डेमो के बाद, एनएचए प्राइवेट हॉस्पिटल को प्रमाणित और सूचीबद्ध कर सकता है।
ये पहल इतनी अहम क्यों है: पीएम मोदी ने सोमवार को जब इस योजना को लॉन्च किया था तो उन्होंने कहा था कि इस मिशन से हॉस्पिटलों की प्रक्रिया आसान बनेगी और जीवन आसान होगा।
इस नई पहल से पूरा तंत्र एक ही मंच पर आ जाएगा। इसे उदाहरण से समझें कि अगर एक मरीज एम्स दिल्ली में इलाज करवा रहा है और फिर किसी दूसरे शहर में इलाज के लिए जाना चाहता है, तो रोगी को शारीरिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड या फाइलों को वहां ले जाने की आवश्यकता नहीं है।
इस पहल के तहत आपके नजदीकी डॉक्टरों और विशेषज्ञों को ढूंढना आसान है। ये प्लेटफॉर्म रोगी को बताएगा कि समस्या के समय किससे संपर्क करना है। इसके अलावा यहां से लैब और दवा की दुकानों की भी आसानी से पहचान की जा सकेगी।