
कोरबा :- कोरबा जिले के वनांचल क्षेत्र में प्राथमिक शाला स्कूल गढ़कटरा के शिक्षक श्रीकांत सिंह ने बताया कि शिक्षा केवल किताबों तक या केवल स्कूल की चार दीवारी तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए बल्कि शिक्षा को अपने आसपास के वातावरण में ले जाना भी उतना ही आवश्यक है जितना कि स्कूल में।
दूसरी ओर शाला के आसपास का वातावरण ऐसा होना चाहिए जो बच्चो को स्वयं स्कूल आने मजबूर करे। बच्चों को एक खुशनुमा माहौल दे। कुछ ऐसा ही प्रयास हमारा होता है। जैसे जैसे स्कूल गतिविधियों ने रफ्तार पकड़नी शुरू की हमने भी बच्चों को अब बेहतर माहौल देना शुरू किया।

हमारा बेहद खास शिक्षण सामग्री टायर टीएलएम अब एक बार फिर सज चुका है। हमने ज्यादा फोकस अंग्रेजी पर किया है। स्कूल के रास्ते और स्कूल की अहाते में सजे यह टायर बच्चों को अपनी ओर आकर्षित करने के साथ ही सीखने को भी प्रेरित करते हैं।
इन टायरों में अल्फाबेट, गिनती, 2 एंड 3 letter words, verbs, phonetic sounds, birds, animals, days, months name, colours name आदि लिखे गए हैं। बच्चे स्कूल आते जाते या जब भी उन्हें समय मिलता है पढ़ते हैं(याद बिलकुल नहीं करते)।

करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान, रसरी आवत जात ते, सिल पर पड़त निशान।।
उक्त पंक्तियों को यह धरातल पर चरितार्थ करता है। फिलहाल बच्चे सारा कुछ भूल चुके पर महीने भर में उन्हें यह सब याद होगा। वे केवल इन्हें सीखेंगे ही नहीं बल्कि इसकी जिम्मेदारी से भी अवगत होंगे। इनकी रखरखाव की सारी जिम्मेदारी बच्चों और पालकों पर ही है। कोई इसे गिरा दे तो पालक फावड़ा लेकर इसे लगाते आपको जरूर दिख जाएंगे। पर अभी हमारा सारा ध्यान बच्चों को इसे सिखाने पर है।हमारी पाठशाला ही है मस्ती की पाठशाला। खेलो कूदों और सीखो।
रिपोर्टर कृष्णा दास महंत