नई दिल्ली:– सावन के महीने में व्रत और त्योहार की भरमार देखने के लिए मिलती है सावन के 5 सोमवार के अलावा हरियाली तीज, नागपंचमी और रक्षाबंधन जैसे त्योहार आने वाले है। हिंदू धर्म में हरियाली तीज का महत्व होता है जिसे सुहागन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए रखती है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान होता है।
साल में तीन बार आती है तीज
सावन के महीने में तीन बार सुहागन महिलाएं तीज का व्रत रखती है। जो इस बार 7 अगस्त को मनाई जाने वाली है जो सावन के महीने में खास होती है। हरियाली तीज के दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रख भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। हरियाली तीज का व्रत रखने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। व्रत के दौरान कई नियम होते है जिनका पालन करना जरूरी होता है। इसे लेकर ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने जानकारी दी है।
हरियाली तीज पूजा में क्यों रखते है खीरा
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, तीज व्रत की पूजा सामग्रियों में खीरा रखने के नियम होते है। इसका अर्थ इस प्रकार होता है।
ज्योतिष शास्त्र में कहा जाता है कि,, जितने भी तरल पदार्थ होते हैं उनका संबंध चंद्रमा से होता है। इस वजह से खीरे का भी संबंध चंद्रमा से है वहीं पर और खीरा चंद्रमा का प्रतीक भी माना जाता है।
तीज पूजा के दौरान जब भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा होती है तब उस दौरान खीरा इसलिए रखा जाता है ताकि शिवशक्ति के साथ-साथ चंद्रमा का पूजन भी किया जा सके।
कहते हैं कि, दूसरी ओर चंद्रमा को भगवान शिव अपने मस्तक पर धारण करते हैं। सरल शब्दों में आपको समझाएं तो खीरे का चंद्रमा से नाता है और चंद्रमा का भगवान शिव शंकर महादेव से इसलिए इस नियम का पालन किया जाता है।
हरियाली तीज के दिन चंद्रमा का प्रतीक मानकर खीरे को पूजा में रखा जाता है ताकि चंद्रमा की शुभता बनी रहे और मन के विकार दूर हो सकें और व्रत बिना किसी दोष के पूरा हो सके।
इस प्रकार से हरियाली तीज व्रत की पूजा के नियम का पालन करना चाहिए, ऐसा करने से भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद आपको मिलता है। वहीं पर घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है।