नई दिल्ली:– आपको बता दे की भारतीय टेनिस स्टार रोहन बोपन्ना ने पेरिस ओलंपिक में मेन्स डबल्स में हार के बाद सन्यास का ऐलान कर दिया है। मैच ख़त्म होने बाद रोहन बोपन्ना ने कि उन्होंने भारत के लिए अपना आखिरी मैच खेल लिया है। रोहन के टेनिस करियर का अंत भले ही हार के साथ हो रहा हो। लेकिन उन्होंने भारत को गर्व करने कई मौके भी दिए हैं।
बोपन्ना और एन श्रीराम बालाजी की पुरुष युगल जोड़ी यहां दुधिया रोशनी में रविवार रात को खेले गए मैच में एडवर्ड रोजर वासेलिन और गेल मोनफिल्स की फ्रांसीसी जोड़ी से 5-7, 2-6 से हार गयी। इस जोड़ी की हार के साथ ही टेनिस में 1996 के बाद भारत के लिए ओलंपिक पदक का सूखा बरकरार रहा। दिग्गज लिएंडर पेस ने अटलांटा ओलंपिक के पुरुष एकल में कांस्य पदक जीता था।
एशियाई खेलों के समय किया था इशारा
बोपन्ना 2016 में इस सूखे को खत्म करने के करीब आये थे लेकिन मिश्रित स्पर्धा में उनकी और सानिया मिर्जा की जोड़ी चौथे स्थान पर रही थी। बोपन्ना ने खुद को 2026 एशियाई खेलों से बाहर करते हुए कहा, ‘‘यह निश्चित रूप से देश के लिए मेरा आखिरी टूर्नामेंट था। मैं पूरी तरह से समझता हूं कि मैं किस स्थिति में हूं। मैं अब जब खेल सकूंगा तब टेनिस का लुत्फ उठाउंगा।” वह पहले ही डेविस कप से संन्यास की घोषणा कर चुके हैं।
बोपन्ना ने चेहरे पर मुस्कान के साथ कहा कि मैं जहां हूं वह मेरे लिए पहले ही किसी बड़े बोनस की तरह है। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मैं दो दशकों तक भारत का प्रतिनिधित्व करूंगा। मैंने 2002 में करियर की शुरुआत की थी और 22 साल बाद भी भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिल रहा है। मुझे इस पर बेहद गर्व है।” बोपन्ना ने कहा कि 2010 में ब्राजील के खिलाफ डेविस कप का पांचवां मुकाबला राष्ट्रीय टीम के लिए उनका सबसे यादगार मैच है।
डेविस कप को किया याद
उन्होंने कहा कि यह निश्चित रूप से डेविस कप इतिहास में एक है। वह अब तक मेरा सबसे अच्छा पल है, इसमें कोई संदेह नहीं है कि चेन्नई में वह पल और फिर सर्बिया के खिलाफ बैंगलोर में पांच सेट में मैच जीतना भी यादगार मौका था। उन्होंने कहा कि उस समय टीम का माहौल शानदार था। लीके साथ खेलना, कप्तान के रूप में हेश के साथ खेलना कमाल का अनुभव था। उस समय मैं और सोमदेव एकल में खेलते थे और हम सभी ने पूरे जी-जान से मुकाबला किया था, यह अविश्वसनीय था।
पत्नी को कहा शुक्रिया
टेनिस स्टार ने कहा कि बेशक, अपना पहला पुरुष युगल ग्रैंड स्लैम जीतना और विश्व नंबर एक बनना बड़ी उपलब्धि रही है। मैं अपनी पत्नी का आभारी हूं, जिन्होंने इस यात्रा में बहुत सारे बलिदान किये हैं। बोपन्ना अपने स्तर पर युगल खिलाड़ियों की मदद कर रहे हैं और अगर उन्हें भविष्य में एआईटीए के संचालन में शामिल होने का मौका मिलता है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी।
रोहन ने कहा कि जब मैं इसे करने के लिए तैयार हो जाऊंगा तो निश्चित रूप से उन पदों पर गौर करूंगा। मैं अभी प्रतिस्पर्धा और यात्रा कर रहा हूं ऐसे में अभी इस तरह की जिम्मेदारी नहीं निभा सकता हूं। मैं इस समय इसके प्रति अपनी सौ प्रतिशत प्रतिबद्धता नहीं दे पाऊंगा।” बोपन्ना ने कहा कि ओलंपिक मुकाबले में फ्रांस की टीम में मोनफिल्स की मौजूदगी से उनका काम मुश्किल हो गया। मोनफिल्स ने आखिरी समय में फैबियन रेबॉल की जगह ली थी।
विरोधी खिलाड़ी की तारीफ की
विरोधी की तारीफ करते हुए बोपन्ना ने कहा कि मोनाफिल्स ने एकल मैच खेलने के बाद इस मुकाबले में भी गेंद पर शानदार नियंत्रण रखा। वह तेज प्रहार और शानदार सर्विस कर रहा था।” फ्रांस की जोड़ी को स्थानीय प्रशंसकों का भी शानदार समर्थन मिला। स्टेडियम में मौजूद दर्शक लगातार अपने खिलाड़ियों की हौसला अफजाई कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि मैंने भारत में डेविस कप कभी इस तरह के माहौल में खेला है। प्रशंसक गाना गा रहे थे , शोर मचा रहे थे, उछल रहे थे। डेविस कप में मैंने यूरोप और दक्षिण अमेरिका में अकसर ऐसा देखा है।
साथी खिलाड़ी को दी सलाह
रोहन बोपन्ना ने कहा कि दर्शक अपने खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ा रहे थे लेकिन इस बात का पूरा सम्मान कर रहे थे कि टेनिस मैच खेला जा रहा है। बालाजी ने अहम समय पर अपनी सर्विस गंवा दी, जिससे वह खुद से निराश थे लेकिन बोपन्ना ने कहा कि उनके साथी ने बहुत अच्छा खेला। उन्होंने कहा कि मैंने उनसे कहा कि जिस तरह से उसने खेला उस पर उसे बेहद गर्व होना चाहिए।