
जिधर नजर जा रही, कोई चेहरे पर राख मल रहा है, तो कोई चिता भस्म से नहाया हुआ है। कोई इंसानी खोपड़ियों की माला गले में पहने, मुंह में जिंदा सांप दबाए नृत्य कर रहा, तो कोई जानवरों की खाल पहनकर डमरू बजा रहा। एक तरफ चिताएं जल रही हैं, दूसरी तरफ लोग उसकी राख से होली खेल रहे हैं
इंसान जो चिता की राख से दूर भागता है, आज वो इसे प्रसाद मानकर एक चुटकी राख के लिए घंटों इंतजार कर रहा है। भीड़ इतनी कि पैर रखने तक की भी जगह नहीं।
ये नजारा है बनारस की मसान होली का। मान्यता ये कि चिता की राख से होली खेलने पर भगवान शिव प्रसन्न होते हैं

रास्ते में जगह-जगह अघोरी बाबा करतब दिखा रहे हैं। कोई हाथ में नाग लेकर घूम रहा है, तो कोई आग से खेल रहा। चिता की भस्म हवा में इस तरह घुली है कि दूर-दूर तक मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा
हरिश्चंद्र घाट पर दिन-रात शव जलते रहते हैं। यहां के मुख्य आयोजक पवन कुमार चौधरी हैं। वे डोमराजा कालूराम के वंशज हैं। मसान होली को लेकर पवन चौधरी एक पौराणिक कथा सुनाते हैं
‘राजा हरिश्चंद्र हमारे बाबा कालू राम डोम के हाथों इसी जगह पर बिके थे। उनकी पत्नी भी कालू राम डोम के यहां काम करने लगी थीं। जब राजा हरिश्चंद्र ने अपनी पत्नी तारा से अपने बेटे के अंतिम संस्कार के लिए भी कर चुकाने को कहा, तो तारा ने अपनी साड़ी फाड़कर कर चुकाया
उस दिन एकादशी थी। राजा की इस सत्यवादिता को देखकर भगवान विष्णु प्रकट हुए और कहने लगे कि राजा तुम अपनी तपस्या में सफल हुए। तुम अमर रहोगे और यह दुनिया तुम्हें सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र के नाम से जानेगी