हैदराबाद :- गर्मियों के मौसम में महिलाओं व पुरुषों दोनों में पेशाब में जलन की समस्या आमतौर पर देखने में आती है. जिसे लोग पानी कम पीने से जोड़ के देखते हैं. जो कई बार सही भी होता है. लेकिन पेशाब में जलन सिर्फ गर्मी में नहीं बल्कि किसी भी मौसम में हो सकती है. वहीं शरीर में पानी की कमी के अलावा यह समस्या कुछ गलत आदतों, अभ्यासों व कई रोग तथा समस्याओं के कारण भी हो सकती है. जानकारों की मानें पेशाब करते समय दर्द या जलन महसूस होना एक यूरिन डिसऑर्डर है. जिसे डिस्यूरिया कहा जाता है. Dysuria के लक्षणों की अनदेखी करना या इसका सही समय पर इलाज ना करवाना कई बार कुछ गंभीर प्रभावों का कारण भी बन सकता है.
चंडीगढ़ पंजाब के मूत्र रोग विशेषज्ञ डॉ तेजेन्द्र सिंह बताते हैं कि डिस्यूरिया एक आम Urinary disorders है, जिसमें पीड़ित को पेशाब करते समय मूत्राशय, मूत्रमार्ग, पेलविक एरिया व पेरिनेम के क्षेत्र में ज्यादा दर्द या जलन महसूस होती हैं. Dysuria कई कारणों से हो सकती है. वहीं डिस्यूरिया के प्रभाव भी उसके लिए जिम्मेदार कारणों के आधार पर कम या ज्यादा गंभीर हो सकते हैं. वह बताते हैं कि डिस्यूरिया or Urine disorder के लक्षणों को अनदेखा नहीं करना चाहिए क्योंकि कई बार इसके लिए जिम्मेदार कारण गंभीर हो सकते हैं जो समय से इलाज ना मिलने पर कई गंभीर प्रभावों का कारण भी बन सकते हैं.
पेशाब करते समय जलन व दर्द – कॉन्सेप्ट इमेज
कारण तथा लक्षण
डॉ तेजेन्द्र सिंह बताते हैं कि महिलाओं व पुरुषों दोनों में डिस्यूरिया के लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं. शरीर में पानी की ज्यादा कमी, पेशाब को रोक कर रखने की आदत, सेक्स में लापरवाही, जननांगों में तेज रसायन युक्त उत्पादों के इस्तेमाल, अस्वच्छ अंतर्वस्त्र पहनने जैसी गलतियों के साथ जननांगों, प्रजनन अंगों, किडनी, ब्लैडर या मूत्रमार्ग में संक्रमण तथा कुछ समस्याओं के होने की अवस्था में Dysuria की समस्या हो सकती हैं. वहीं इसके लिए जिम्मेदार कारणों में कभी कभी-कैंसर जैसे गंभीर रोग भी शामिल हो सकते हैं.
यूटीआई यानी यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन गोनोकोकल या क्लैमाइडिया संक्रमण
वह बताते हैं कि डिस्यूरिया के लिए यूटीआई यानी Urinary Tract Infection गोनोकोकल या क्लैमाइडिया संक्रमण – Gonococcal or Chlamydia Infection को सबसे आम कारण माना जाता है. वैसे तो Urinary Tract Infection – UTI महिलाओं व पुरुषों दोनों में हो सकता है, लेकिन पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में यह समस्या ज्यादा देखी जाती है. दरअसल महिलाओं में यूरिन ट्यूब छोटी होती है और पुरुषों में लंबी. ऐसे में जब यूरिन ट्यूब में या ब्लैडर में बैक्टीरिया या यीस्ट के कारण संक्रमण होता है तो वह महिलाओं को ज्यादा व जल्दी प्रभावित करता है. वह बताते हैं कि इसके अलावा कुछ अन्य कारण भी हैं जिन्हे Dysuria के लिए जिम्मेदार माना जा सकता है. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
ऑब्सट्रक्टिव यूरोपैथी.
प्रोस्टेट या ब्लैडर का कैंसर.
पुरुषों में प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ना.
यौन संचारित रोग- STD .
किडनी या मूत्राशय में पथरी.
ज्यादा उम्र.
सेक्स के दौरान लापरवाही या अप्राकृतिक सेक्स.
मूत्रमार्ग या जननांग में त्वचा संबंधित रोग तथा चोट या किसी अन्य कारण से त्वचा में घाव होना.
महिलाओं में गर्भावस्था या योनि में सूखेपन की समस्या, आदि.
वह बताते हैं कि कई बार जननांगों की तेज केमिकल वाले साबुन से सफाई या हेयर रिमूवल क्रीम जैसे तेज केमिकल का इस्तेमाल भी Dysuria का कारण बन सकता है. डॉ तेजेन्द्र सिंह बताते हैं कि कारणों के आधार पर डिस्यूरिया के निम्नलिखित लक्षण नजर आ सकते हैं.
पेशाब करते समय मूत्रमार्ग में दर्द व तेज जलन के साथ पेट या जांघ के आस-पास दर्द होना.
बार-बार पेशाब आने जैसे महसूस होना या बार-बार पेशाब आना.
पेशाब का रंग बदलना या उससे दुर्गंध आना.
पेशाब से खून या मवाद आना.
बुखार व उल्टी- दस्त होना.
शरीर में रह-रह कर कंपकंपी आना.
महिलाओं में योनि में खुजली होना.
सेक्स के दौरान जननांगों में दर्द व जलन होना.
योनि से डिस्चार्ज होना, आदि.
डॉ तेजेन्द्र सिंह बताते हैं कि Dysuria के किसी भी लक्षण के नजर आने पर तत्काल चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए. तथा उनके निर्देश पर जांच व इलाज करवाना चाहिए. वह बताते हैं कि ऐसे महिला या पुरुष जिन्हे जल्दी-जल्दी UTI होता हो, या जो किसी संक्रमण, रोग या शरीर में पानी की कमी के कारण पेशाब में जलन की समस्या or Urinary disorders का सामना कर रहे हों, उनके लिए कुछ बातों का ध्यान में रखना लाभकारी हो सकता है, जैसे..
पेशाब को कभी रोके नहीं.
सोने से पहले तथा सेक्स के बाद पेशाब जरूर करें.
ज्यादा से ज्यादा पानी और तरल पदार्थों का सेवन करें.
जहां तक संभव हो कैफीन, शराब और सिगरेट का कम सेवन करें या उनसे परहेज करें.
विशेषकर गर्मी में मौसम में सूती अंतःवस्त्र ही पहने .
सेक्स के दौरान कंडोम का इस्तेमाल करें.
लक्षणों के नजर आने पर तत्काल चिकित्सक से संपर्क करें