नई दिल्ली:- लोकसभा चुनाव के पहले दो चरणों में इसका उदाहरण देखने को मिला। दोनों चरणों में 2,823 उम्मीदवारों में से केवल 235 महिला उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा। राजनीतिक विश्लेषक इस पर गहरी चिंता जता रहे हैं।
तमिलनाडु, केरल की हिस्सेदारी अधिक
पहले चरण में 135 महिला उम्मीदवारों में से, तमिलनाडु की हिस्सेदारी सबसे अधिक 76 थी। हालांकि यह आंकड़ा राज्य के कुल उम्मीदवारों का सिर्फ आठ प्रतिशत था। दूसरे चरण में केरल में महिला उम्मीदवारों की संख्या सबसे अधिक 24 थी।
भाजपा ने उतारे ज्यादा महिला उम्मीदवार
दोनों चरणों में भाजपा की तरफ से महिला उम्मीदवारों का प्रतिनिधित्व ज्यादा देखने को मिला। भाजपा ने जहां 69 महिलाओं को मैदान में उतारा, वहीं कांग्रेस ने दोनों चरणों में 44 महिलाओं को मौके दिए।
ठोस कदम उठाने की जरूरत
राजनीति में इस लैंगिक असंतुलन पर राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि दलों को महिला आरक्षण अधिनियम के लागू होने का इंतजार न कर सक्रिय रूप से महिलाओं को मैदान में उतारना चाहिए।
दिल्ली विश्वविद्यालय की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुशीला रामास्वामी ने कहा कि राजनीतिक दलों को महिलाओं की उम्मीदवारी को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. इफ्तिखार अहमद अंसारी ने कहा कि भारत के मतदाताओं में लगभग आधी महिलाएं हैं, लेकिन राजनीति में उनका कम प्रतिनिधित्व कई सवाल खड़े करता है।