नई दिल्ली :- खरीफ सीजन शुरू होते ही किसान धान की फसल की तैयारियों में जुट गए हैं. ऐसे में हर साल की तरह इस बार भी खेतों में नाइट्रोजन की जरूरत पड़ेगी, लेकिन शाहजहांपुर स्थित उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद ने एक ऐसा जैविक उत्पाद विकसित किया है जो धान की फसल में नाइट्रोजन की जरूरत को काफी हद तक कम कर सकता है. वैज्ञानिकों का दावा है कि ‘एजोटोबेक्टर’ नाम का यह जैविक उत्पाद किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा.
उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान के वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि एजोटोबेक्टर एक सूक्ष्मजीव आधारित जैविक उत्पाद है, जो मिट्टी में मौजूद रहने के बाद वायुमंडल की नाइट्रोजन को पकड़कर उसे पौधों के लिए उपयोगी बनाता है. इससे न सिर्फ पौधों की बढ़वार होती है, बल्कि किसानों की यूरिया जैसे रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता भी घटती है. डॉ. विश्वकर्मा के मुताबिक, वायुमंडल में लगभग 78% नाइट्रोजन होती है, लेकिन पौधे इसे सीधे उपयोग नहीं कर पाते. एजोटोबेक्टर इस गैस को स्थिर करके मिट्टी के माध्यम से पौधों को उपलब्ध कराता है, जिससे अतिरिक्त नाइट्रोजन डालने की जरूरत नहीं पड़त
कैसे करें एजोटोबेक्टर का इस्तेमाल?
एजोटोबेक्टर का सही इस्तेमाल धान की रोपाई से पहले, अंतिम जुताई के समय करना चाहिए. इसे सड़ी हुई गोबर की खाद या सामान्य मिट्टी में अच्छी तरह मिलाकर पूरे खेत में छिड़काव करें. इसके बाद खेत की जुताई करके समतल कर लें और फिर धान की रोपाई करें. प्रति हेक्टेयर 10 किलोग्राम एजोटोबेक्टर की मात्रा पर्याप्त मानी जाती है. ध्यान दें कि इसका प्रयोग करते समय किसी भी रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल न करें.
कहां से खरीदें एजोटोबेक्टर?
अगर आप किसान हैं और अपने खेत में एजोटोबेक्टर का उपयोग करना चाहते हैं, तो आप सीधे उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद, शाहजहांपुर से इसे ले सकते हैं. यहां आपको अपने खेत के क्षेत्रफल की जानकारी देकर एजोटोबेक्टर मिल जाएगा. इसकी कीमत भी काफी किफायती रखी गई है—सिर्फ ₹50 प्रति किलोग्राम.