नई दिल्ली:- चुनाव के लिए सोमवार को अधिसूचना जारी होते ही प्रत्याशियों के नामांकन की प्रकिया शुरू हो जाएगी। प्रमुख राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा पहले ही कर चुके हैं। पिछले लोकसभा चुनावों में बड़ी संख्या में निर्दलीय और छोटे दलों के उम्मीदवार भी चुनावी अखाड़े में ताल ठोकते रहे हैं, लेकिन कोई बड़ा उलटफेर सामने नहीं आया।
दिल्ली के मतदाता निर्दलीय एवं छोटे दलों के उम्मीदवारों को नकारते रहे हैं। इस वजह से दिल्ली में विजेता एवं प्रतिद्वंद्वी दल के उम्मीदवार को छोड़ बाकी सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त ही होती रही है। पिछले दो लोकसभा चुनावों में दिल्ली की सातों संसदीय सीटों पर भाजपा, कांग्रेस और आप का त्रिकोणीय मुकाबला रहा है।
इस बार भाजपा एवं आईएनडीआईए के बीच आमने-सामने की सीधी लड़ाई है। तीसरा कोई मजबूत दावेदार नहीं दिख रहा है। राजनीतिक दल चुनावी रणनीति के तहत विपक्षी उम्मीदवार को मात देने के लिए निर्दलीय उम्मीदवारों का इस्तेमाल करती रही हैं। ऐसे में, इस बार निर्दलीय एवं छोटे दलों के उम्मीदवारों की भूमिका अहम हो सकती है।
पिछले लोस चुनाव में दिल्ली की सात लोस सीटों से 164 प्रत्याशी थे, इनमें 17 को छोड़ बाकी की जमानत जब्त हो गई थी। पूर्वी दिल्ली, उत्तर-पश्चिमी दिल्ली और पश्चिमी दिल्ली सीट से विजेता एवं प्रतिद्वंद्वी के अलावा एक-एक अन्य उम्मीदवार ही अपनी जमानत बचा पाए थे। वर्ष 2014 के चुनाव में भी सात विजेता, सात प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों के अलावा सिर्फ तीन उम्मीदवारों की जमानत ही बची थी।