: इंटरनेट आज के समय में दुनिया की सबसे बड़ी जरूरत बन गया है. बिना इंटरनेट के आज के समय दुनिया का एक दिन भी बता पाना काफी मुश्किल है. अब लगभग सभी चीज इंटरनेट से जुड़ी हुई है. भारत में भी इंटरनेट का खूब इस्तेमाल किया जाता है. और जब से जियो ने टेलीकॉम इंडस्ट्री में कदम रखा है. तब से इंटरनेट भारत में और फैल गया है. इंटरनेट हम सब इस्तेमाल करते हैं लेकिन कभी आपने सोचा है यह इंटरनेट किस तरह से चलता है.
इसे क्या चीज है जो दुनिया भर में तब तक पहुंच आती है. तो बता दें इंटरनेट का जाल जमीन पर ही नहीं बल्कि समुद्र में भी फैला हुआ है. हजारों मील समुद्र के अंदर इंटरनेट का संचार करने के लिए फाइबर ऑप्टिक केबल बिछी हुई है. लेकिन अब यह केबल खतरे में है हाल ही में हुई एक रिसर्च में पता लगाया गया है. समुद्र के अंदर होने वाले हिमस्खलन से इंटरनेट केबल प्रभावित हो रही हैं. समुद्र के अंदर खतरे में इंटरनेट केबलहाल ही में हुई एक स्टडी में यह पता लगाया है कि समुद्र के अंदर होने वाले हिमस्खलन जिसे टर्बिडिटी करंट भी कह जाता है. यह दुनिया भर की इंटरनेट कनेक्टिविटी के लिए एक खतरा साबित हो सकते हैं. समुद्र के नीचे होने वाली इन घटनाओं से सबमरीन फाइबर ऑप्टिक केबल का नेटवर्क प्रभावित हो सकता है और यह पूरे दुनिया भर में इंटरनेट को ठप कर सकता है.
कैसे होता है समुद्र के अंदर हिमस्खलन?समुद्र तल के अंदर जब नीचे दबे सेडिमेंट्स यानी तलछट अचानक से तेज-बहन के साथ बहने लगते हैं. और एक जगह से दूसरी जगह चले जाते हैं. और जब यह तलछट तेजी से अपनी जगह छोड़ते हुए आगे की ओर बढ़ते जाते हैं. तो यह समुद्र के नीचे मौजूद ऑप्टिक फाइबर इंटरनेट केबल को काट सकते हैं. या उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो दुनिया भर का इंटरनेट प्रभावित हो सकता है.
मुश्किल है समुद्र के अंदर हिमस्खलन पता लगानासमुद्र के अंदर हिमस्खलन काफी खतरनाक साबित हो सकता है. लेकिन इसका पता लगाना काफी मुश्किल काम है क्योंकि यह समुद्र के अंदर होने वाली घटना है. रिसचर्स ने बताया कि कई हिमस्खलन बहुत दूर से शुरू होते हैं जिनका अंदाजा लगाना काफी मुश्किल होता है. भूकंप ,सुनामी और ज्वालामुखी फटने के चलते समुद्र के अंदर हिमस्खलन की घटनाएं होती हैं.