छत्तीसगढ़:– मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (CGMSC) ने राज्य में दवा गुणवत्ता को लेकर सख्त कदम उठाया है। कॉरपोरेशन ने जांच में तीन दवाओं को अमानक (Not of Standard Quality) पाए जाने के बाद तीन वर्ष की अवधि के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया है। यह कार्रवाई संस्था की “जीरो टॉलरेंस पॉलिसी” के तहत की गई है, जो स्वास्थ्य सेवाओं में गुणवत्ता से किसी भी तरह का समझौता स्वीकार नहीं करती।
अब निविदाओं में नहीं ले सकेंगे भाग
CGMSC के अनुसार, ब्लैकलिस्ट की गई दवा कंपनियां ब्लैकलिस्टिंग अवधि के दौरान किसी भी सरकारी टेंडर में भाग नहीं ले पाएंगी। यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाया गया है कि अमानक दवाएं मरीजों तक न पहुँचें।
इन दवाओं की गुणवत्ता पर उठे सवाल
कैल्शियम (एलिमेंटल) विद विटामिन D3 टैबलेट्स
ऑर्निडाजोल टैबलेट्स
निर्माता: मेसर्स एजी पैरेंटेरल्स, गुग्गरवाला, बद्दी (हिमाचल प्रदेश)
जांच: NABL मान्यता प्राप्त लैब में की गई, परिणाम – अमानक।
हेपारिन सोडियम 1000 IU/ml इंजेक्शन IP
निर्माता: मेसर्स डिवाइन लेबोरेट्रीज प्रा. लि., वडोदरा (गुजरात)
परीक्षण: NABL और सेंट्रल ड्रग्स लेबोरेट्री (CDL), कोलकाता में असफल।
इन तीनों उत्पादों को तुरंत प्रभाव से तीन साल के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है।
गुणवत्ता निगरानी को मिलेगा और बल
CGMSC ने कहा है कि वह दवाओं की निरंतर मॉनिटरिंग, बैच-वार परीक्षण और गुणवत्ता विचलन पर त्वरित कार्रवाई पर जोर दे रहा है। सभी कदम CDSCO और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 के प्रावधानों के अनुसार उठाए जा रहे हैं, ताकि केवल प्रमाणित दवाएं ही सरकारी अस्पतालों में उपयोग हों।
स्वास्थ्य मंत्री का सख्त संदेश
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा, “राज्य सरकार मरीजों की सुरक्षा के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है। दवा की गुणवत्ता पर कोई समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भविष्य में भी अगर कोई कंपनी मानक से नीचे दवा आपूर्ति करेगी तो कार्रवाई जारी रहेगी।”
