नई दिल्ली : वास्तु शास्त्र में दिशाओं को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है. इसमें जल, अग्नि, वायु, आकाश और पृथ्वी तत्वों के लिए अलग-अलग दिशाएं निर्धारित की गई हैं. घर में इन तत्वों से जुड़ी चीज़ों को वास्तु शास्त्र में बताई गई दिशाओं के अनुसार रखा जाए तो उन्नति और तरक्की प्राप्त होती है. ऐसा नहीं करने से घर में वास्तु दोष उत्पन्न होने लगता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार पानी के बर्तन रखने के लिए पूर्व और उत्तर दिशा को सबसे उत्तम माना गया है. अब घर में इन दिशाओं पर पानी का टैंक या पीने का पानी रखा जा सकता है. इसके अतिरिक्त अन्य दिशाओं में पानी का स्थान होने से धन हानि होने की आशंका बढ़ जाती है. आइए जानते हैं विस्तार से
वास्तु के अनुसार यहां हो घर का जल स्थान
- भवन का निर्माण करवाते समय वास्तु के नियमों को ध्यान में रखना बहुत ज़रूरी होता है. खासतौर पर एक घर में जल का स्थान या पानी की टंकी, जहां पीने का पानी रखा जाता है. वह किस स्थान पर हो? यह जानना बेहद ज़रूरी है. यदि घर में जल का स्थान वास्तु के द्वारा बतायी गई दिशा के विपरीत होता है तो परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है और सुख-समृद्धि का नाश होता है.
- वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि घर में पीने के पानी का स्थान ईशान कोण होता है. पानी का भंडारण या भूमिगत टैंक हमेशा उत्तर या पूर्वोत्तर दिशा में बनवाना चाहिए.
- घर में यदि ट्यूबेल या बोरिंग करवा रहे हैं, तो इसे कभी भी दक्षिण पूर्व, उत्तर पश्चिम या दक्षिण पश्चिम दिशा की तरफ न करवाएं. इसके लिए उत्तर पूर्व कोण का स्थान सही होता है. ओवर हैड वॉटर टैंक उत्तर और वायव्य कोण के बीच होना चाहिए.
- घर में बाथरूम या नहाने का कमरा पूर्व दिशा में होना चाहिए.
- घर के अंदर किसी नल से पानी का टपकना भी शुभ नहीं माना जाता. घर के किसी नल से पानी रिसना नहीं चाहिए. वास्तु के अनुसार ऐसा होने से भुखमरी की स्थिति पैदा हो सकती है.