नई दिल्ली:- ओवरस्लीपिंग सेहत के लिए खतरनाक है. यह तब होता है जब आप रात में पूरी नींद ले रहे हैं, लेकिन फिर भी दिन में भी आपको नींद आ रही है तो आपको फौरन अलर्ट हो जाना चाहिए. क्योंकि, यह एक बड़ी बीमारी का संकेत हो सकता है. ज्यादा सोने को ओवरस्लीपिंग के रूप में भी जाना जाता है, वह तब होता है जब आप नियमित रूप से प्रतिदिन 10 घंटे से अधिक सोते हैं. कुछ लोग रात में 8-10 घंटे सोते हैं लेकिन इसके बाद भी उन्हें दिन में भी सोने का मन करता है. यह आदत सही नहीं है. ओवर स्लीपिंग के कारण आपको हाइपरसोमनिया नाम की बीमारी हो सकती है.
बता दें, कुछ लोगों में ज्यादा सोने और कुछ में कम सोने की आदत होती है, लेकिन ज्यादा और कम सोना दोनों ही सेहत के लिए खतरनाक है. चलिए इस खबर के माध्यम से जानते है कि ज्यादा सोने से हाइपरसोमनिया नामक बीमारी क्यों होती है और इससे कैसे बचा जाए…
क्या है हाइपरसोमनिया
हाइपरसोमनिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें आपको पर्याप्त नींद लेने के बावजूद दिन में बहुत ज्यादा नींद आती है. अगर आपको हाइपरसोमनिया है, तो आप दिन में कई बार सो जाते होंगे. हाइपरसोमनिया आपके काम और सामाजिक रूप से काम करने की क्षमता को प्रभावित करता है, आपके जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है और दुर्घटनाओं की संभावना को बढ़ाता है.
हाइपरसोमनिया किसे होता है
हाइपरसोमनिया पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्यादा आम है. माना जाता है कि यह आबादी के लगभग 5 फीसदी लोगों को प्रभावित करता है. आमतौर पर किशोरावस्था या युवावस्था में इसका बीमारी की संभावना ज्यादा रहती है.
हाइपरसोमनिया के संकेत और लक्षण क्या हैं
दिन में लगातार, बार-बार अत्यधिक नींद आना.
औसत से ज्यादा सोना, फिर भी दिन में बहुत अधिक नींद आना और दिन में जागते रहने में कठिनाई होना.
सुबह उठने में कठिनाई या दिन में झपकी लेने के बाद, कभी-कभी भ्रमित और बेहोश होना.
लक्षण
चिंता, चिड़चिड़ापन, ऊर्जा में कमी.
बेचैनी, धीमी सोच, धीमी गति से बोलना, ध्यान केंद्रित करने में असमर्थता, स्मृति समस्याएं.
सिरदर्द, भूख न लगना, भ्रम.
हाइपरसोमनिया का क्या कारण है?
शोधकर्ताओं के मुताबिक, यह बीमारी क्यों होती है. अभी तक इसका कोई सही कारण पता नहीं चला है. इसके बारे में कोई सटीक जानकारी आजतक नहीं मिली है. लेकिन, कुछ शोध में पता चला है कि बीमारी जेनेटिक वजहों से भी हो सकती है.
शोधकर्ताओं ने हाइपोक्रेटिन/ओरेक्सिन, डोपामाइन, हिस्टामाइन, सेरोटोनिन और गामा-एमिनोब्यूट्रिक एसिड सहित मस्तिष्क और मस्तिष्कमेरु द्रव में न्यूरोट्रांसमीटर की संभावित भूमिकाओं को देखा है. ऐसे में उन्होंने पाया कि इस बीमारी में आनुवंशिक कारण संभव हो सकता है. क्योंकि इडियोपैथिक हाइपरसोमनिया वाले 39 फीसदी लोगों में पारिवारिक इतिहास मौजूद होता है. शोधकर्ता सर्कैडियन लय में कुछ जीन की भूमिका का भी पता लगा रहे हैं जो इडियोपैथिक हाइपरसोमनिया वाले लोगों में भिन्न हो सकते हैं.
हाइपरसोमनिया का इलाज कैसे किया जाता है
इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि आपके हाइपरसोमनिया का कारण क्या है. दवा के जरिए और जीवनशैली में बदलाव दोनों ही इस बीमारी का इलाज हैं.
जीवनशैली में बदलाव
अच्छी नींद की आदत बनाए रखें. इसमें नियमित नींद का शेड्यूल बनाना और सोने से पहले कैफीन और व्यायाम को सीमित करना जैसी चीजें शामिल हैं.