सरगुजा:- छत्तीसगढ़ का सरगुजा आदिवासी अंचल है. यहां जिले के प्राथमिक स्कूल के छात्र छात्रों में कुपोषण दूर करने और उन्हें सुपोषित आहार उपलब्ध कराने की पहल शुरू की गई. कलेक्टर ने इसके लिए डीएमएफ फंड से भुगतान का निर्धारण किया और जिले के 1369 प्राथमिक शालाओं के 59 हजार 248 स्कूली बच्चों को प्रतिदिन 20 ग्राम पौष्टिक चना उपलब्ध कराने की पहल शुरू की गई.
पौष्टिक चना के लिए बाकायदा पत्र जारी किया गया, जिसके तहत शिक्षक अगस्त 2024 से लेकर जनवरी 2025 तक प्रतिदिन खुद खरीदी कर चना बच्चों को खिलाएंगे और फिर इसका बिल जमा कर हर माह इसका भुगतान लेंगे.
चना वितरण की पहल अच्छी: शिक्षकों ने कहा कि यह पहल बहुत अच्छी थी. यह योजना चली भी. अब शिक्षकों का आरोप है कि जिला शिक्षा अधिकारी बिल का भुगतान ही नहीं कर रहे हैं. प्रधानपाठक शैलेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि अगस्त महीने में 20 ग्राम सूखा चना खिलाने का निर्देश दिया गया. बाजार में चना 100 रुपए किलो था लेकिन 80 रुपए प्रति किलो देने का निर्देश दिया गया है. सभी शिक्षकों ने निवेदन किया कि 20 रुपए प्रति किलो नुकसान होगा, लेकिन कुछ नहीं किया गया. फिर भी हमने बच्चों को चना खरीदकर खिलाया. समय समय पर बिल भी दिया गया है, लेकिन अबतक पैसा नहीं मिला है.
प्रधानपाठक शैलेन्द्र कुमार सिंह का यह भी कहना है कि अधिकारी जीएसटी का बिल भी मांग रहे हैं, जबकि गांव की दुकानों के पास जीएसटी बिल है ही नहीं. खुले चने में जीएसटी लगता ही नहीं, क्योंकि वो बीज की श्रेणी में आता है और खुला चना जीएसटी फ्री है. प्रशासन ने चने का भुगतान 80₹ प्रति किलो निर्धारित किया है, जबकि बाजार में चना 100₹किलो है.
हम मानसिक रूप से प्रताड़ित हैं. एक स्कूल का 15 से 20 हजार रुपए बचा है. जिले के सभी स्कूल का 2 करोड़ के आसपास होगा- शैलेंद्र कुमार सिंह, प्रधानपाठक
सरगुजा जिले के स्कूलों की फैक्ट फाइल: सरगुजा जिले में 1369 प्राथमिक स्कूल हैं, जहां 59 हजार 248 छात्र छात्राएं दर्ज हैं. ऐसे में 20 ग्राम प्रतिदिन के हिसाब से महीने में 28 हजार 439 किलो और 6 महीने में 1 लाख 70 हजार 635 किलो चना का वितरण किया गया. इसके लिए 80 रुपये प्रति किलो निर्धारित किया गया. इस हिसाब से 1 करोड़ 36 लाख 50 हजार रुपये होता है. लेकिन बाजार मूल्य 100 रुपये किलो के हिसाब से ये चना करीब 1 करोड़ 70 लाख का होता है.
हरकत में शिक्षा विभाग: शिक्षकों के विरोध के बाद अब हालांकि शिक्षा विभाग बिना जीएसटी के बिल के ही भुगतान को तैयार हुआ है. जिला शिक्षा अधिकारी अशोक कुमार सिन्हा का कहना है कि मध्यान्ह भोजन में कलेक्टर ने विशेष निर्देश दिए थे. कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों के लिए अंकुरित चना का प्रावधान किया था. इस सत्र में बच्चों को 6 महीने चना खिलाया है. 3 महीने के पैसे का भुगतान हो गया है. हम बहुत जल्द प्रधानपाठकों को भुगतान करेंगे. जैसे ही प्रक्रिया पूरी हो जाएगी, पैसे दे दिए जाएंगे.