रोम: यूरोप के सबसे औद्योगिकृत देशों में से एक इटली श्रमिकों की कमी का सामना कर रहा है। इस कारण इटली ने विदेशी नागरिकों को 151,000 वर्क परमिट उपलब्ध कराए हैं। ये श्रमिक दुनियाभर के देशों से काम करने के लिए इटली बुलाए जाएंगे। वहीं, गैर-मौसमी श्रमिकों के लिए कम से कम 61,250 कार्य परमिट आरक्षित किए गए हैं, जबकि स्व-रोज़गार विदेशी श्रमिकों के लिए 700 स्थान आरक्षित हैं। इटली के इस वर्क परमिट का सबसे ज्यादा फायदा भारत को हो सकता है। भारत पूरी दुनिया में स्किल्ड और अनस्किल्ड वर्कफोर्स उपलब्ध कराने के मामले में अव्वल देशों में से एक है।
इटली में नौकरी के लिए शर्तें क्या हैंवाई-एक्सिस ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि विदेशी कामगारों को पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर वर्क परमिट दिया जाएगा। इसका तात्पर्य यह है कि जो उम्मीदवार पहले आवेदन करते हैं वे परमिट सुरक्षित कर सकते हैं और सभी आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं। इतालवी सरकार ने गैर-मौसमी श्रमिकों की दो श्रेणियों के लिए कम से कम 89,050 कोटा स्थानों की घोषणा की है। जिन देशों के इटली के साथ द्विपक्षीय या प्रवासन समझौते हैं, उनके गैर-मौसमी कर्मचारी 18 मार्च से वर्क परमिट के लिए आवेदन कर सकेंगे। जिन देशों का इटली के साथ कोई समझौता नहीं है, उनके गैर-मौसमी कर्मचारी 21 मार्च से अपने वर्क परमिट आवेदन जमा कर सकते हैं।
इटली में सबसे ज्यादा किसकी मांगइटली को डॉक्टरों, नर्सों और फिजियोथेरेपिस्ट जैसे सबसे अधिक मांग वाले व्यवसायों में अत्यधिक कुशल श्रमिकों की भी आवश्यकता है। भारत में ऐसे उम्मीदवारों क संख्या करोड़ों में है। ऐसे में भारत के योग्य उम्मीदवारों को सबसे ज्यादा फायदा हो सकता है। पहले से ही दुनियाभर के देशों में भारत के डॉक्टर, नर्स और फिजियोथेरेपिस्ट सर्विस कर रहे हैं। ऐसे में इटली के रूप में उनके पास नया विकल्प भी उपलब्ध होगा।
भारतीय कामगारों की दुनियाभर में मांगभारत के कामगारों की मांग पूरी दुनिया में बढ़ रही है। पिछले साल ही इजरायल ने बड़ी संख्या में भारतीय कामगारों को अपने देश नौकरी के लिए आमंत्रित किया था। लंबी बातचीत के बाद भारतीय श्रमिकों का जत्थे इजरायल पहुंचने भी शुरू हो गए हैं। इसके अलावा ताइवान ने भी भारत के साथ श्रमिकों को लेकर समझौता किया है।